आध्यात्म/Spiritual – श्रीमद् भगवत गीता – पद्यानुवाद – अष्टम अध्याय (15) प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

श्रीमद् भगवत गीता

हिंदी पद्यानुवाद – प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

अष्टम अध्याय

(ब्रह्म, अध्यात्म और कर्मादि के विषय में अर्जुन के सात प्रश्न और उनका उत्तर )

( भक्ति योग का विषय )

 

मामुपेत्य पुनर्जन्म दुःखालयमशाश्वतम्‌।

नाप्नुवन्ति महात्मानः संसिद्धिं परमां गताः ।।15।।

 

मुझे प्राप्त कर जन्म फिर पाते नहीं महान

पर मुक्ति पाते जगत तो है दुख की खान।।15।।

 

भावार्थ :  परम सिद्धि को प्राप्त महात्माजन मुझको प्राप्त होकर दुःखों के घर एवं क्षणभंगुर पुनर्जन्म को नहीं प्राप्त होते।।15।।

 

Having attained Me these great souls do not again take birth (here), which is the place of pain and is non-eternal; they have reached the highest perfection (liberation).।।15।।

 

© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ 

ए १ ,विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर

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