आध्यात्म/Spiritual – श्रीमद् भगवत गीता ☆ पद्यानुवाद – पंचदश अध्याय (12) ☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

श्रीमद् भगवत गीता

हिंदी पद्यानुवाद – प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

पुरूषोत्तम योग

(संसार वृक्ष का कथन और भगवत्प्राप्ति का उपाय)

(प्रभाव सहित परमेश्वर के स्वरूप का विषय)

 

यदादित्यगतं तेजो जगद्भासयतेऽखिलम्‌ ।

यच्चन्द्रमसि यच्चाग्नौ तत्तेजो विद्धि मामकम्‌ ।।12।।

 

करता रवि जिस तेज से सब जग को भा समान

चंद्र-अग्नि का तेज भी मेरा ही तू जान ।।12।।

 

भावार्थ :  सूर्य में स्थित जो तेज सम्पूर्ण जगत को प्रकाशित करता है तथा जो तेज चन्द्रमा में है और जो अग्नि में है- उसको तू मेरा ही तेज जान॥12॥

 

That light which residing in the sun, illumines the whole world, that which is in the moon and in the fire—know that light to be Mine.

 

प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

ए १, शिला कुंज, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, नयागांव,जबलपुर ४८२००८

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