श्रीमद् भगवत गीता

हिंदी पद्यानुवाद – प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

एकादश अध्याय

( विश्वरूप के दर्शन हेतु अर्जुन की प्रार्थना )

 

अर्जुन उवाच

मदनुग्रहाय परमं गुह्यमध्यात्मसञ्ज्ञितम्‌ ।

यत्त्वयोक्तं वचस्तेन मोहोऽयं विगतो मम ।। 1 ।।

अर्जुन ने कहा-

बडी कृपा कर आपने किया जो विशद बयान

मोहभंग मेरा हुआ सुन वह आध्यात्मिक ज्ञान ।। 1 ।।

 

भावार्थ :  अर्जुन बोले- मुझ पर अनुग्रह करने के लिए आपने जो परम गोपनीय अध्यात्म विषयक वचन अर्थात उपदेश कहा, उससे मेरा यह अज्ञान नष्ट हो गया है।। 1 ।।

 

By this explanation of the highest secret concerning the Self, which Thou hast spoken out of compassion towards me my delusion is gone.।। 1 ।।

 

प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

ए १ ,विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर

[email protected]

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