ई-अभिव्यक्ति: संवाद ☆ ई-अभिव्यक्ति के 2रे जन्मदिवस – सफर तीन लाख का और विजयादशमी पर्व की हार्दिक शुभकामनायें ☆

☆ ई-अभिव्यक्ति के 2रे जन्मदिवस – सफर तीन लाख का और विजयादशमी पर्व की हार्दिक शुभकामनायें ☆

प्रिय मित्रो,

अक्टूबर माह और आज का दिन ई- अभिव्यक्ति परिवार के लिए कई अर्थों में महत्वपूर्ण है।  इसी माह 15 अक्टूबर 2018 को हमने अपनी यात्रा प्रारम्भ की थी। मुझे यह साझा करते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है कि 2 वर्ष 10 दिनों के इस छोटे से सफर में आपकी अपनी वेबसाइट पर 3 लाख से अधिक विजिटर्स विजिट कर चुके हैं।

आज मैं अपने नहीं आपके ही विचार आपसे साझा करने का प्रयास कर रहा हूँ।

जगत सिंह बिष्ट

प्रिय भाई हेमन्त जी,

सर्वप्रथम, ई-अभिव्यक्ति पर 3,00,000 विजिटर्स के कीर्तिमान हेतु हार्दिक बधाई। निश्चित रूप से, किसी भी पैमाने पर, 2 वर्ष के कम समय में यह एक मील का पत्थर है।

यह मेरा परम सौभाग्य है कि इस यात्रा की परिकल्पना के समय से ही मुझे इसका एक महत्वपूर्ण सहयात्री और क्षण-क्षण का प्रत्यक्षदर्शी बनने का अवसर प्राप्त हुआ है। सच कहूँ तो मुझे यह यात्रा अद्भुत, अविश्वसनीय और अप्रतिम लगी है।

परिकल्पना, परिश्रम, निरंतरता, विकास और चलायमान बने रहना अपने-आप में सफलता का द्योतक है। यह सौभाग्य हर किसी को नहीं मिलता, सिर्फ भगीरथ प्रयास करने वाले, आत्मविश्वासी और अडिग पुरुषों को ही मिलता है।

अंग्रेजी और मराठी भाषा को जोड़कर आपने अभिव्यक्ति को एक नया आयाम दिया है। आप इसी तरह निःस्वार्थ भाव से परिश्रम की पराकाष्ठा करते रहें, यही कामना है, यही प्रार्थना है। बहुत-बहुत साधुवाद और अनेकानेक शुभकामनाएं। – सदैव आपका

डॉ कुंदन सिंह परिहार

 

आपने बिना भेद -भाव के, बिना किसी निहित स्वार्थ के, समर्पित भाव से पत्रिका का संपादन किया है।आप अपने स्वभाव के अनुसार सबको आदर देते हैं।इसीलिए आपकी दर्शक संख्या इतनी बढ़ी है और इतने लोग आपसे जुड़े हैं।आपका काम दूसरों के लिए अनुकरणीय है।

डॉ.  मुक्ता

नमस्कार, मात्र दो वर्ष से कम कि अवधि में तो न लाख लोगों का वेबसाइट का विज़िट करना स्वयं में महान् उपलब्धि है।इसका पूर्ण श्रेय आपके परिश्रम, लग्न व निरंतर कर्त्तव्य-निष्ठता को जाता है।

अशेष शुभ कामनाएं।

प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ 

एक शिक्षक को सबसे अधिक प्रसन्नता तब होती है , जब उसके विद्यार्थी उसे सम्मान देते हैं । उम्र के इस पड़ाव पर मेरे विद्यार्थी सारे विश्व मे फैले हुए हैं । इंटरनेट के जरिये ढेर से पुराने शिष्यों ने मेरे पुत्र चि विवेक के माध्यम से ढूंढ कर सम्पर्क रखा है । हेमंत जी मेरे प्रिय शिष्यों में से एक हैं । सबसे बड़ी बात है कि वे एक बेहद अच्छे इंसान हैं , तकनिकज्ञ हैं , साहित्य अनुरागी हैं । मेरी रचना साधिकार उनकी हैं , वे उन्हें क्रमिक रूप से पोर्टल पर स्वस्फूर्त प्रकाशित करते हैं ।
तीन लाख दुनियाभर में फैले पाठकों का विशाल परिवार हम लेखकों, व पोर्टल की थाथी है । मेरी समस्त मंगल कामना उनके संग हैं । शुभेस्तु

श्री अमरेन्द्र नारायण

ई अभिव्यक्ति एक ऐसा पटल है जिसमें स्तरीय रचनायें पढ़ने को मिलती हैं।उत्तम रचनाओं को पटल पर उपलब्ध कराने में श्री हेमन्त बावनकर जी के परिश्रम और साहित्य की उनकी परख का महत्वपूर्ण योगदान है।
अपने प्रयास को नेपथ्य में रख कर साहित्य की श्री वृद्धि हेतु निरंतर प्रयत्नशील रहना हेमंत जी की प्रतिभा और साहित्य साधना का परिचय देता है।
हर्ष की बात है कि सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव जी का मार्गदर्शन और सहयोग ई अभिव्यक्ति को मिल रहा है।
ई अभिव्यक्ति की इतने कम समय में प्रशंसनीय उपलब्धि के लिए हेमंत जी और उनके सहयोगियों को हार्दिक बधाई।श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव जी ई अभिव्यक्ति के माध्यम से आदरणीय बाबूजी की रचनायें हमें उपलब्ध करा रहे हैं,उन्हें हार्दिक धन्यवाद और पूज्य बाबू जी को सादर प्रणाम।
हमारी शुभेच्छा है कि ई- अभिव्यक्ति निरंतर प्रगति करता रहे।
उल्लेखनीय है कि ई अभिव्यक्ति ने एकता व शक्ति के आयोजन प्रसार को नियमित स्तम्भ के रूप में स्थान दिया , इसके लिए हेमंत जी का विशेष आभार व्यक्त करता हूँ
हम सब इस उत्कृष्ट पटल को अपना सहयोग दें,इस आग्रह और नवरात्रि की शुभकामना के साथ- अमरेन्द्र नारायण????

श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ 

ई अभिव्यक्ति के फाउंडर डिजाइनर हिंदी, अंग्रेजी, मराठी के साहित्य रसिक भाई हेमंत बावनकर जी से मेरा आत्मीयता का प्रगाढ़ रिश्ता है । याद आता है कि एक आयोजन में वे भी रानी दुर्गावती संग्रहालय के हाल जबलपुर में वे भी उपस्थित थे , और मैं भी पिताजी के साथ वहीं था । जैसे ही आयोजन पूर्ण हुआ वे हमारे पास आये और पिताजी को पहचान गए । दरअसल मेरे पिताश्री प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव जी केंद्रीय विद्यालय जबलपुर के संस्थापक प्राचार्य हैं , और हेमंत जी उनके विद्यार्थी थे । यह भावना भरी भेंट थी गुरु शिष्य की ।

फिर एक दिन हेमंत जी हमारे घर पधारे ई अभिव्यक्ति को लेकर विशद चर्चाएं हुई । पिताजी की भगवत गीता के श्लोक व अनुवाद को क्रमशः प्रतिदिन प्रस्तुत करने की योजना से हम इस शुद्ध साहित्यिक पोर्टल से जुड़े । फिर स्तम्भ के रूप में मेरी पुस्तक चर्चा, व्यंग्य भी पाठकों द्वारा पसन्द किया जाने लगा । धीरे धीरे हिट्स बढ़ते गए । हेमंत भाई को सबसे बड़े उम्र के सोलो पोर्टल डिजाइनर के रूप में बुक ऑफ रिकार्ड्स के द्वारा सम्मानित किया गया । हम प्रायः पोर्टल के विकास हेतु चर्चा करते रहते । प्रतिदिन प्रातः उठते साथ चुनिंदा पोस्ट का 2014 से चल रहे साहित्यम व्हाट्सएप ग्रुप में इंतजार रहता, मित्रो में ई अभिव्यक्ति चर्चा का केंद्र बनता गया ।

हेमंत जी ने मुझे संपादक मण्डल में शामिल कर लिया । एकता व शक्ति ग्रुप के आयोजनों में पोर्टल सहभागी बना । नए नए पाठक पोर्टल से जुड़ते जा रहे हैं । हेमंत भाई समर्पित सारस्वत साधना में लगे हुए हैं , मुझे प्रसन्नता है कि मैं इसका छोटा सा हिस्सा बन सका ।

श्री सुहास रघुनाथ पंडित

हम सब के लिये यह एक आनंददायी वार्ता है/ हम आप से सिर्फ दो महीनोंसे जुडे हुए है/ लेकिन आप तो दो साल से यह अक्षरपालखी उठा रहे है/ इसलिए यह आपके योगदान का फलित है/यह हमारा सौभाग्य है की हम इस कार्य मे अल्प सा हाथ बटा सके/
हम इस अंक मे भिन्न भिन्न प्रकार मे साहित्य उपलब्ध कर रहे हैं/ हो सकता है कि इसी कारण लोकप्रियता बढ रही हैं/ क्योंकि विभिन्न वाचक वर्ग अपनी अपनी पसंद का पढ रहा है/अपनी नयी उपक्रमशीलता हमारा वाचकवर्ग और बढा देगी यह आशा और विश्वास है /

श्री आशीष कुमार

हेमंत सर के विषय में शब्दों में लिखना बहुत ही मुश्किल है उन्होंने e-अभिव्यक्ति के माध्यम से मेरे जैसे कितने ही मंच वहीन और हीन सामान्य व्यक्तियों को एक ऐसा माध्यम प्रदान किया है जो किसी संजीवनी से कम नही। मैंने अपनी पूरी जिंदगी में उनके जैसे सहज व्यक्तित्व को विरला ही पाया है। वो एक गुरु की तरह समय समय पर मुझे स्मरण कराते है की आप अपना कोई अन्य लेख प्रकाशित करने के लिए दे सकते है । उनकी सरलता तो देखिए एक बार उनके और मेरे बीच किसी एक विषय को लेकर वार्तलाप चल रहा था वो एक ऐसा विषय था जिसके संदर्भ में मेरा ज्ञान अल्प था किन्तु हेमंत सर को पूर्ण ज्ञान थ। फिर भी मैं उन्हे उस विषय में बता रहा था और वो बहुत आराम से सुन रहे थे। मुझे बाद में ज्ञात हुआ की हेमंत सर तो उस विषय में पूर्णता पाए हुए है।

उम्र के इस पड़ाव पर भी हर सुबह गर्मी, सर्दी , बरसात आदि मौसमो में बिना किसी रुकवाट के निरंतर हमारे शब्दों को जीवन देना वे सच में हमारा प्रेरणा स्रोत है। ईश्वर से आपके स्वास्थ्य की कामना करते हुए आपको बधाई देता हूँ ।

……….. और सतत शुभकामनाओं और बधाइयों का तांता लगा है।

मैं अभिभूत हूँ आपके अथाह प्रेम, स्नेह और ई-अभिव्यक्ति को इतना प्रतिसाद देने के लिए। ईश्वर की अनुकम्पा और आपका स्नेह ऐसा ही यथावत रहे।

इसी कामना के साथ।

पुनः विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं ? 

आपका अपना ही

हेमन्त बावनकर 

25 अक्टूबर 2020