ई-अभिव्यक्ति: संवाद–1
मुझसे मेरे कई मित्रों ने पूछा कि – भाई वेबसाइट का नाम ई-अभिव्यक्ति ही क्यों?
मेरा उत्तर होता था जब ईमेल और ईबुक हो सकते हैं तो फिर आपकी वेबसाइट का नाम ई-अभिव्यक्ति क्यों नहीं हो सकता?
“अभिव्यक्ति” शब्द को साकार करना इतना आसान नहीं था। जब कभी अभिव्यक्ति की आज़ादी की राह में रोड़े आड़े आए तो डॉ. राजकुमार तिवारी ‘सुमित्र’ जी के आशीर्वाद स्वरूप निम्न पंक्तियों ने संबल बढ़ाया –
सजग नागरिक की तरह
जाहिर हो अभिव्यक्ति।
सर्वोपरि है देशहित
बड़ा न कोई व्यक्ति।
इस क्रम में आज अनायास ही स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति पर अचानक सुश्री आरूशी दाते जी का एक मराठी आलेख अभिव्यक्ती स्वातंत्र्य – गरज व अतिरेक… प्राप्त कर हतप्रभ हूँ।
15 अक्तूबर 2018 की रात्रि एक सूत्रधार की मानिंद जाने अनजाने मित्रों, साहित्यकारों को एक सूत्र में पिरोकर कुछ नया करने के प्रयास से एक छोटी सी शुरुआत की थी। अब लगता है कि सूत्रधार का कर्तव्य पूर्ण करने के लिए संवाद भी एक आवश्यक कड़ी है। कल्पना भी नहीं थी कि इस प्रयास में इतने मित्र जुड़ जाएंगे और इतना प्रतिसाद मिल पाएगा।
यदि मजरूह सुल्तानपुरी के शब्दों में कहूँ तो –
मैं अकेला ही चला था ज़ानिब-ए-मंज़िल मगर, लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया।
इस संवाद के लिखते तक मुझे अत्यंत प्रसन्नता है कि 15 अक्तूबर 2018 से आज तक 5 माह में कुल 485 रचनाएँ प्रकाशित की गईं। उन रचनाओं पर 297 कमेंट्स प्राप्त हुए और 8700 से अधिक सम्माननीय लेखक/पाठक विजिट कर चुके हैं।
इस यात्रा में कई अविस्मरणीय पड़ाव आए जो सदैव मुझे कुछ नए प्रयोग करने हेतु प्रेरित करते रहे। इनकी चर्चा हम समय समय पर आपसे करते रहेंगे। मित्र लेखकों एवं पाठकों से समय-समय पर प्राप्त सुझावों के अनुरूप वेबसाइट में साहित्यिक एवं अपने अल्प तकनीकी ज्ञान से वेबसाइट को बेहतर बनाने के प्रयास किए।
इस यात्रा की शुरुआत शीर्ष साहित्यकार एवं अनुज डॉ विजय तिवारी ‘किसलय’ जी से एक लंबी चर्चा एवं डॉ राजकुमार तिवारी ‘सुमित्र’ जी के आशीर्वाद से की थी। तत्पश्चात वरिष्ठ मित्रों के समर्पित सहयोग से पथ पर चल पड़ा। मुझे प्रोत्साहित करने में श्री जगत सिंह बिष्ट, श्री सुरेश पटवा, श्री जय प्रकाश पाण्डेय, डॉ भावना शुक्ल, श्री ज्योति हसबनीस, श्री सदानंद आंबेकर आदि मित्रों का अभूतपूर्व सहयोग प्राप्त हुआ। यदि कोई मित्र अनजाने में सूची में छूट गए हों तो करबद्ध क्षमा चाहूंगा।
आज बस इतना ही।
हेमन्त बावनकर
14 मार्च 2019
Shubhkamnayen??
अभिनंदन सर
उम्दा और सराहनीय प्रयास | शुभकामनाऐं |
अभिनंदन आणि खूप साऱ्या शुभेच्छा !
हेमन्त सर प्रणाम,
ई-अभिव्यक्ति का यह सफर युहीं चलता रहें ।
आपको बहूत बहूत बधाई , ई-अभिव्यक्ति की प्रगती बिना रुकावट चलती रहें..
शुभकामनाऐं ??
धन्यवाद,
स्वप्ना अमृतकर ..
आप सबके अथाह स्नेह एवं साहित्यिक सहयोग के लिए हृदय से धन्यवाद। आप सबका स्नेह यूँ ही बना रहे एवं e-abhivyakti अपनी एक अलग पहचान बना सके इस कामना के साथ पुनः आभार।
हेमन्त बावनकर