ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 46 ☆ (1) मानवता का अदृश्य शत्रु कोरोना (2) सोशल मीडिया के गुमनाम साहित्यकारों के नाम ☆ हेमन्त बावनकर
ई-अभिव्यक्ति: संवाद–46
☆ (1) मानवता का अदृश्य शत्रु कोरोना (2) सोशल मीडिया के गुमनाम साहित्यकारों के नाम ☆
आज के संवाद के माध्यम से मुझे पुनः आपसे विमर्श का अवसर प्राप्त हुआ है।
मानवता का अदृश्य शत्रु कोरोना
आज विश्व में मानवता अत्यंत कठिन दौर से गुजर रही है। विश्व के समस्त मानव जिनमें साहित्यकार / कलाकार / रंगकर्मी भी संवेदनशील मानवता के अभिन्न अंग हैं और अत्यंत विचलित हैं ‘ कोरोना’ जैसी विश्वमारी य महामारी जैसे प्रकोप /त्रासदी से । इतनी सुन्दर सुरम्य प्रकृति, हरे भरे वन-उपवन, नदी झरने, घाटियां, पर्वत श्रृंखलाएं और कहीं कहीं तो शांत बर्फ की सफ़ेद चादर और भी न जाने क्या क्या हमें प्रकृति ने उपहारस्वरूप दिया है ।
आज हम मानवता के अदृश्य शत्रु “कोरोना” को बढ़ती विकराल श्रंखला को तोड़ने के लिए अपने-अपने घरों में कैद हैं ।
आज हम स्वयं को एक भयावह वैज्ञानिक उपन्यास के पात्र की तरह पाते है और दुःस्वन जैसी निर्मित परिस्थितियों का एक अत्यंत सुखांत अंत होगा ऐसी हम ईश्वर से कामना करते हैं। मुझे पूर्ण विश्वास है कि हम सब मिलकर मानवता के विरुद्ध इस युद्ध से वैज्ञानिक रूप से ढृढ़ता पूर्वक सतत लड़ते हुए निश्चित ही विजयी होंगे। हम सब इस वैश्विक आपदा से उबर कर पाएंगे एक नवजीवन एवं दे सकेंगे आने वाली पीढ़ियों को हमारे वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धांतों पर आधारित एक नवीन वैश्विक ग्राम । साथ ही आकलन करेंगे कि हमने क्या खोया और क्या पाया ?
ई-अभिव्यक्ति की पहल – एक साप्ताहिक स्तम्भ सोशल मीडिया के गुमनाम साहित्यकारों के नाम
☆ Anonymous litterateur of social media / सोशल मीडिया के गुमनाम साहित्यकार ☆
आज सोशल मीडिया गुमनाम साहित्यकारों के अतिसुन्दर साहित्य से भरा हुआ है। प्रतिदिन हमें अपने व्हाट्सप्प / फेसबुक / ट्विटर / योर कोट्स / इंस्टाग्राम आदि पर हमारे मित्र न जाने कितने गुमनाम साहित्यकारों के साहित्य की विभिन्न विधाओं की ख़ूबसूरत रचनाएँ साझा करते हैं। कई रचनाओं के साथ मूल साहित्यकार का नाम होता है और अक्सर अधिकतर रचनाओं के साथ में उनके मूल साहित्यकार का नाम ही नहीं होता। कुछ साहित्यकार ऐसी रचनाओं को अपने नाम से प्रकाशित करते हैं जो कि उन साहित्यकारों के श्रम एवं कार्य के साथ अन्याय है। हम ऐसे साहित्यकारों के श्रम एवं कार्य का सम्मान करते हैं और उनके कार्य को उनका नाम देना चाहते हैं।
सी-डैक के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एचपीसी ग्रुप में वरिष्ठ सलाहकार तथा हिंदी, संस्कृत, उर्दू एवं अंग्रेजी भाषाओँ में प्रवीण कैप्टन प्रवीण रघुवंशी जी ने ऐसे अनाम साहित्यकारों की असंख्य रचनाओं का अंग्रेजी भावानुवाद किया है। इन्हें हम अपने पाठकों से साझा करने का प्रयास कर रहे हैं । उन्होंने पाठकों एवं उन अनाम साहित्यकारों से अनुरोध किया है कि कृपया सामने आएं और ऐसे अनाम रचनाकारों की रचनाओं को उनका अपना नाम दें।
कैप्टन प्रवीण रघुवंशी जी ने भगीरथ परिश्रम किया है। वे इस अनुष्ठान का श्रेय अपने फौजी मित्रों को दे रहे हैं। जहाँ नौसेना कप्तान प्रवीण रघुवंशी सूत्रधार हैं, वहीं कर्नल हर्ष वर्धन शर्मा, कर्नल अखिल साह, कर्नल दिलीप शर्मा और कर्नल जयंत खड़लीकर के योगदान से यह अनुष्ठान अंकुरित व पल्लवित हो रहा है। ये सभी हमारे देश के तीनों सेनाध्यक्षों के कोर्स मेट हैं। जो ना सिर्फ देश के प्रति समर्पित हैं अपितु स्वयं में उच्च कोटि के लेखक व कवि भी हैं। जो स्वान्तः सुखाय लेखन तो करते ही हैं और साथ में रचनायें भी साझा करते हैं।
इस सद्कार्य के लिए कैप्टन प्रवीण रघुवंशी जी साधुवाद के पात्र हैं । हम आज से ही इस साप्ताहिक स्तम्भ को प्रारम्भ कर रहे हैं ।
प्रतिदिन की भांति आज की रचनाएँ भी घर की चारदीवारी में आपको एवं आपके हृदय को निश्चित ही सकारात्मकता के साध बाँध कर रख सकेंगी ।
इन पंक्तियों के लिखे जाने तक ई-अभिव्यक्ति वेबसाइट को कितने विजिटर्स (सम्माननीय एवं प्रबुद्ध लेखकगण/पाठकगण) का प्रतिसाद’ मिला, उसे अंकों में गणना करने से हमारा उत्साह अवश्य बढ़ता है । किन्तु, इस अकल्पनीय प्रतिसाद एवं इन क्षणों के आप ही भागीदार हैं। यदि आप सब का सहयोग नहीं मिलता तो मैं इस मंच पर इतनी उत्कृष्ट रचनाएँ देने में स्वयं को असमर्थ पाता। मैं नतमस्तक हूँ ,आपके अपार स्नेह के लिए।
आइये हम सब मिलकर मानवता के अदृश्य शत्रु कोरोना से लड़ें एवं विजयी बनें।
आप सबका हृदयतल से आभार।
आज बस इतना ही।
हेमन्त बावनकर
28 मार्च 2020