श्रीमती मीनाक्षी सरदेसाई 

? इंद्रधनुष्य ? 

☆ हिंदू धर्मातील एक ते दहा अंकांचे महत्त्व  ☆ संग्रहिका: श्रीमती मीनाक्षी सरदेसाई ☆

०१ —-

एक जननी ( मूळ माया ) :   जगदंबा

०२—-

दोन लिंग: नर आणि नारी / दोन पक्ष : शुक्ल पक्ष आणि कृष्ण पक्ष

दोन पूजा: वैदिकी आणि तांत्रिकी (पुराणोक्त) / दोन आयन :  उत्तरायण आणि दक्षिणायन

०३ —-

तीन देव :  ब्रह्मा, विष्णु, शंकर / तीन देवी : महासरस्वती, महालक्ष्मी, महाकाली

तीन लोक ;  पृथ्वी, आकाश, पाताळ / तीन गुण : सत्वगुण, रजोगुण, तमोगुण

तीन स्थिति :  ठोस, द्रव, ग्यास / तीन स्तर :  प्रारंभ, मध्य, अंत / तीन पडाव :  लहान, किशोर, वृद्ध 

तीन रचना : देव, दानव, मानव / तीन अवस्था : जागृत, मृत, बेशुद्ध / तीन काळ ; भूत, भविष्य, वर्तमान

तीन नाडी ;  इडा, पिंगला, सुषुम्ना / तीन संध्या ;  प्रात:, मध्याह्न, सायं / 

तीन शक्ती :  इच्छाशक्ती, ज्ञानशक्ती, क्रियाशक्ती

०४ —-

चार धाम ;  बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम्, द्वारका / चार मुनी : सनत, सनातन, सनंद, सनत कुमार

चार वर्ण : ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र / चार नीती : साम, दाम, दंड, भेद

चार वेद ;  सामवेद, ॠग्वेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद / चार स्त्री :  माता, पत्नी, बहीण, मुलगी 

चार युग : सतयुग, त्रेतायुग, द्वापारयुग, कलियुग / चार वेळा : सकाळ, दुपार, संध्याकाळ, रात्र

चार अप्सरा : उर्वशी, रंभा, मेनका, तिलोत्तमा / चार गुरु : आई, वडील, शिक्षक, आध्यात्मिक गुरु

चार प्राणी : जलचर, थलचर, नभचर, उभयचर / चार जीव : अण्डज, पिंडज, स्वेदज, उद्भिज

चार वाणी : ओंकार, आकार्, उकार, मकार /  चार आश्रम : ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, संन्यास

चार भोज : खाद्य, पेय, लेह्य, चोष्य / चार पुरुषार्थ : धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष

चार वाद्य : तत्, सुषिर, अवनद्ध, घन

०५ —-

पाच तत्व : पृथ्वी, आकाश, अग्नि, जल, वायु / पाच देवता : गणेश, दुर्गा, विष्णु, शंकर, सूर्य

पाच ज्ञानेन्द्रिय ;  डोळे, नाक, कान, जीभ, त्वचा / पाच कर्मेन्द्रिय : रस, रुप, गंध, स्पर्श, ध्वनि

पाच बोटे : अंगठा, तर्जनी, मध्यमा, अनामिका, कनिष्ठा / पाच पूजा उपचार :  गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य

पाच अमृत : दूध, दही, तूप, मध, साखर / पाच प्रेतं : भूत, पिशाच, वैताळ, कुष्मांड, ब्रह्मराक्षस

पाच स्वाद : गोड, तिखट, आंबट, खारट, कडू / पाच वायू  :  प्राण, अपान, व्यान, उदान, समान

पाच इन्द्रिये : डोळे, नाक, कान, जीभ, त्वचा / पाच पाने : आंबा, पिंपळ, बरगद, गुलेर, अशोक

पाच वटवृक्ष : सिद्धवट (उज्जैन), अक्षयवट (प्रयागराज), बोधिवट (बोधगया), वंशीवट (वृंदावन), साक्षीवट (गया)

पाच कन्या : अहिल्या, तारा, मंदोदरी, कुंती, द्रौपदी

०६ —-

सहा ॠतू : ग्रीष्म, वर्षा, शरद, वसंत, शिशिर / सहा ज्ञानाचे प्रकार: शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द, ज्योतिष

सहा कर्म : देवपूजा, गुरु उपासना, स्वाध्याय, संयम, तप, दान

सहा दोष : काम, क्रोध, मद (घमंड), लोभ, मोह, आलस्य

०७ —-

सात छंद :गायत्री, उष्णिक, अनुष्टुप, वृहती, पंक्ति, त्रिष्टुप, जगती

सात स्वर : सा, रे, ग, म, प, ध, नि / सात सूर : षडज्, ॠषभ्, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत, निषाद

सात चक्र : सहस्त्रार, आज्ञा, विशुद्ध, अनाहत, मणिपुर, स्वाधिष्ठान, मूलाधार

सात वार : रवि, सोम, मंगळ, बुध, गुरु, शुक्र, शनि.. 

सात माती:   गौशाळा, घुड़साल, हाथीसाल, राजद्वार, बाम्बी ची माती, नदी संगम, ताळ

सात महाद्वीप : जम्बुद्वीप (एशिया), लक्षद्वीप, शाल्मलीद्वीप, कुशद्वीप, क्रौंचद्वीप, शाकद्वीप, पुष्करद्वीप

सात ॠषी : वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र, भारद्वाज

सात धातु (शारीरिक) : रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा, वीर्य

सात रंग : तांबडा, नारंगी, पिवळा, हिरवा, निळा, पांढरा, जांभळा,

सात पाताळ : अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, रसातल, पाताळ

सात पुरी : मथुरा, हरिद्वार, काशी, अयोध्या, उज्जैन, द्वारका, काञ्ची

सात धान्य :  गहू, चणे, तांदूळ, जव, मूग,उडिद, बाजरी

०८ —-

आठ मातृका :  ब्राह्मी, वैष्णवी, माहेश्वरी, कौमारी, ऐन्द्री, वाराही, नारसिंही, चामुंडा

आठ लक्ष्मी : आदिलक्ष्मी, धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, गजलक्ष्मी, संतानलक्ष्मी, वीरलक्ष्मी, विजयलक्ष्मी, विद्यालक्ष्मी

आठ वसु : अप (अह:/अयज), ध्रुव, सोम, धर, अनिल, अनल, प्रत्युष, प्रभास

आठ सिद्धि : अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, वशित्व

आठ धातू :  सोने, चांदी, तांबे, शिसे, जस्त, टिन, लोह, पारा

०९—-

नवदुर्गा :शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कुष्मांडा, स्कन्दमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री

नवग्रह : सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु

नवरत्न : हिरा, पाचू (पन्ना ), मोती, माणिक, मूंगा, पुखराज, नीलम, गोमेद, लसण्या

नवनिधि : पद्मनिधि, महापद्मनिधि, नीलनिधि, मुकुंदनिधि, नंदनिधि, मकरनिधि, कच्छपनिधि, शंखनिधि, खर्व/मिश्र निधि

१0 —-

दहा महाविद्या: काली, तारा, षोडशी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्तिका, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, कमला

दहा दिशा: पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, आग्नेय, नैॠत्य, वायव्य, ईशान, खाली, वर

दहा दिक्पाल : इन्द्र, अग्नि, यमराज, नैॠिति, वरुण, वायुदेव, कुबेर, ईशान, ब्रह्मा, अनंत

दहा अवतार (विष्णुजी):  मत्स्य, कच्छप, वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध, कल्कि

दहा सती :  सावित्री, अनसूया, मंदोदरी, तुलसी, द्रौपदी, गांधारी, सीता, दमयंती, सुलक्षणा, अरुंधती. 

संग्रहिका:  श्रीमती मीनाक्षी सरदेसाई

सांगली

मो. – 8806955070

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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