सुश्री प्रभा सोनवणे

? कविता ?

☆ घुंगराले बाल☆ सुश्री प्रभा सोनवणे ☆

(स्मृतिशेष स्व. मामाजी को सादर समर्पित। ई-अभिव्यक्ति परिवार की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि) 

कुछ दिन पहले,

मेरे नब्बे साल के मामाजी का फोन आया,

“ये तेरे बालों को क्या हुआ?”

“बालाजी को अर्पण किये है”

“इससे क्या होता है ?”

पढा था कहीं,

“बालाजी को बाल देने से,

हम जिन्दगी के सारे ऋणों से

मुक्त होते हैं।”

 

“ये अंधविश्वास है ʼ”– मामाजी बोले !

 

“और ऐसा भी लगता है,

नए बाल शायद सरल-सीधे आए” – मैं 

 

“क्यूं ? तुमको घुंगराले बाल क्यूं पसंद नहीं?”

 

“मेंटेन करना कठिन है ।”

 

“हाँ….” कहकर मामाजीने फोन बंद किया ।

 

बचपन में कहते थे लोग,

“घुंगराले बालों वाली लडकियाँ,

मामा के लिए भाग्यशाली होती है”!

 

सरल-सीधे  बालों की चाह होने पर भी,

अब मैं घुंगराले बाल ही माँगती हूँ…

मामाजी का भाग्य बना रहे ।

☆  

© प्रभा सोनवणे

१६ जून २०२४

संपर्क – “सोनवणे हाऊस”, ३४८ सोमवार पेठ, पंधरा ऑगस्ट चौक, विश्वेश्वर बँकेसमोर, पुणे 411011

मोबाईल-९२७०७२९५०३,  email- [email protected]

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ.उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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