मराठी साहित्य – कविता ☆ राजमाता जिजाऊ ☆ कविराज विजय यशवंत सातपुते

कविराज विजय यशवंत सातपुते

(समाज , संस्कृति, साहित्य में  ही नहीं अपितु सोशल मीडिया में गहरी पैठ रखने वाले  कविराज विजय यशवंत सातपुते जी  की  सोशल मीडिया  की  टेगलाइन माणूस वाचतो मी……!!!!” ही काफी है उनके बारे में जानने के लिए। जो साहित्यकार मनुष्य को पढ़ सकता है वह कुछ भी और किसी को भी पढ़ सकने की क्षमता रखता है।आप कई साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। कुछ रचनाये सदैव समसामयिक होती हैं। आज प्रस्तुत है आपकी एक अत्यंत भावपूर्ण कविता “राजमाता जिजाऊ “।)

☆ कविता –  राजमाता जिजाऊ  ☆

 

राजमाता जिजाऊने

इतिहास घडविला

सिंदखेड गाव तिचा

कर्तृत्वाने सजविला.. . . !

 

उभारणी स्वराज्याची

शिवबाचा झाली श्वास

स्वाभिमान जागविला

गुलामीचा केला -हास.. . . !

 

सोनियाच्या नांगराने

जनी पेरला विश्वास

माता, भगिनी रक्षण

कर्तृत्वाचा झाली ध्यास.

 

माय जिजाऊची कथा

मावळ्यांचा काळजात

छत्रपती शिवराय

दैवी लेणे अंतरात.. . !

 

वीरपत्नी, वीरमाता

संघटीत शौर्य शक्ती

भवानीचा अवतार

चेतविली देशभक्ती.. . . . !

 

© विजय यशवंत सातपुते

यशश्री, 100 ब दीपलक्ष्मी सोसायटी,  सहकार नगर नंबर दोन, पुणे 411 009.

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