सौ. वृंदा गंभीर
कवितेचा उत्सव
☆ गाई गुणगान आवडीने… ☆ सौ. वृंदा गंभीर ☆
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आगमन आज | श्री गणपतीचे ||
प्रसन्न मनाचे | आवडीने ||1||
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छान सजावट | बाप्पाच्या समोर ||
रांगोळी सुंदर | रेखीयेली ||2||
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लाईट पताका | चमकती भारी |
मूर्ती ही साजरी |. दिसतसे ||3||
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मनोभावे पूजा | आज दिनी करी |
नैविद्यास पुरी | अर्पियेली ||4||
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दुर्वा जास्वनंद | वहावी भक्तीने |
बाप्पा आरतीने | नाचतसे ||5||
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मोदक उकडी | गूळ खोबऱ्याचे |
गुण प्रसादाचे | दावीयेती ||6||
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रूप मनोहर | दिसतसे फार |
जरी पितांबर | नेसलासे ||7||
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कंठात माणिक | मोतीयांच्या माळा |
पायात हो वाळा | शोभतंसे ||8||
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गाई गुणगान | आवडीने देवा |
वृंदाचा ठेवा | सोनियाचा ||9||
– दत्तकन्या
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© सौ. वृंदा गंभीर
न-हे, पुणे. – मो न. 8799843148
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈