कवी राज शास्त्री

(कवी राज शास्त्री जी (महंत कवी मुकुंदराज शास्त्री जी)  मराठी साहित्य की आलेख/निबंध एवं कविता विधा के सशक्त हस्ताक्षर हैं। मराठी साहित्य, संस्कृत शास्त्री एवं वास्तुशास्त्र में विधिवत शिक्षण प्राप्त करने के उपरांत आप महानुभाव पंथ से विधिवत सन्यास ग्रहण कर आध्यात्मिक एवं समाज सेवा में समर्पित हैं। विगत दिनों आपका मराठी काव्य संग्रह “हे शब्द अंतरीचे” प्रकाशित हुआ है। ई-अभिव्यक्ति इसी शीर्षक से आपकी रचनाओं का साप्ताहिक स्तम्भ आज से प्रारम्भ कर रहा है। आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “अभंग—शब्दगंगा… )

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – हे शब्द अंतरीचे # 14 ☆ 

☆ अभंग—शब्दगंगा… ☆

शब्दांचा प्रवाह,

वाहता असावा

मनात नसावा, न्यूनगंड…०१

 

शब्द गंगा सदा

वैचारिक ठेवा

अनमोल हवा, संदेश तो…०२

 

निर्मळ, सोज्वळ

असावे प्रेमळ

साधावे सकळ, योग्यकर्म…०३

 

शब्द ज्ञान देती

शब्द भूल देती

शब्द त्रास देती, नकळत…०४

 

म्हणुनी सांगणे

सहज बोलणे

शब्दांत असणे, प्रेमळता…०५

 

कवी राज म्हणे

अलिप्त असावे

सचेत रहावे, सदोदित…०६

 

कवी म.मुकुंदराज शास्त्री उपाख्य कवी राज शास्त्री.

श्री पंचकृष्ण आश्रम चिंचभुवन,

वर्धा रोड नागपूर,(440005)

मोबाईल ~9405403117, ~8390345500

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित ≈

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