श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे
(श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे जी हमारी पीढ़ी की वरिष्ठ मराठी साहित्यकार हैं। सुश्री रंजना एक अत्यंत संवेदनशील शिक्षिका एवं साहित्यकार हैं। सुश्री रंजना जी का साहित्य जमीन से जुड़ा है एवं समाज में एक सकारात्मक संदेश देता है। निश्चित ही उनके साहित्य की अपनी एक अलग पहचान है। आप उनकी अतिसुन्दर ज्ञानवर्धक रचनाएँ प्रत्येक सोमवार को पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है मानवीय रिश्तों पर आधारित चारोळी विधा में रचित एक भावप्रवण कविता – “बहीण ”। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – रंजना जी यांचे साहित्य #- 18 ☆
☆ बहीण ☆
थोरली बहीण
प्रेमळ सावली।
वैराण जीवनी
भासते माऊली।
भावा बहिणीचे नाते
जणू मोहरे वसंत ।
रूक्ष तापल्या मनाची
असे पहिली पसंत ।
खट्याळ भाऊराया
काढी बहिणीची खोडी।
लाडीक या भांडणात
वाढे जगण्याची गोडी।
अनमोल भासे मज
तुझी चोळी अन् साडी।
नको मोडूस राजसा बहिणीची आस वेडी।
© रंजना मधुकर लसणे
आखाडा बाळापूर, जिल्हा हिंगोली
9960128105