श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे 

 

(श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे जी हमारी पीढ़ी की वरिष्ठ मराठी साहित्यकार हैं।  सुश्री रंजना  एक अत्यंत संवेदनशील शिक्षिका एवं साहित्यकार हैं।  सुश्री रंजना जी का साहित्य जमीन से  जुड़ा है  एवं समाज में एक सकारात्मक संदेश देता है।  निश्चित ही उनके साहित्य  की अपनी  एक अलग पहचान है। आप उनकी अतिसुन्दर ज्ञानवर्धक रचनाएँ प्रत्येक सोमवार को पढ़ सकेंगे। आज  प्रस्तुत है  प्रकृति / पर्यावरण पर आधारित आपकी एक अतिसुन्दर कविता   “निसर्ग माझा मित्र”)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – रंजना जी यांचे साहित्य # 39 ☆ 

 ☆ निसर्ग माझा मित्र 

शेतकरी राजा असे

काळ्या आईचा सुपुत्र ।

मदतीचा हात हाती

हा निसर्ग माझा मित्र।

 

नदी डोंगर, सागर,

शेती रुपं त्याची न्यारी।

जीव भरण पोषणा,

नित्य सजलेली सारी।

 

चंद्र, सूर्य, तारांगण

सज्ज हिच्या स्वागताला।

सोनसळी किरणांनी

उभा देह  सजलेला।

 

बरसती जलधारा

जादूगिरी निसर्गाची।

उजवते कूस त्याने

माझ्या माय माऊलीची।

 

सुवर्णाचे दान देई

जगा वसुंधरा माता।

सोडू हव्यासाची साथ

तिची जपून अस्मिता।

 

गती जीवन चक्राची

आम्ही सुरळीत करू।

विश्वात्मक दृष्टी नवी

मनी अविरत स्मरू।

 

©  रंजना मधुकर लसणे

आखाडा बाळापूर, जिल्हा हिंगोली

9960128105

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