श्री सुजित कदम
(श्री सुजित कदम जी की कवितायेँ /आलेख/कथाएँ/लघुकथाएं अत्यंत मार्मिक एवं भावुक होती हैं. इन सबके कारण हम उन्हें युवा संवेदनशील साहित्यकारों में स्थान देते हैं। उनकी रचनाएँ हमें हमारे सामाजिक परिवेश पर विचार करने हेतु बाध्य करती हैं. मैं श्री सुजितजी की अतिसंवेदनशील एवं हृदयस्पर्शी रचनाओं का कायल हो गया हूँ. पता नहीं क्यों, उनकी प्रत्येक कवितायें कालजयी होती जा रही हैं, शायद यह श्री सुजित जी की कलम का जादू ही तो है! आज प्रस्तुत है उनकी एक अत्यंत भावप्रवण कविता “शब्द पक्षी…!”। यह सत्य है कि जब तक शब्द पक्षी कागज पर न उतर जाये तब तक साहित्यकार छटपटाता ही रहता है। आप प्रत्येक गुरुवार को श्री सुजित कदम जी की रचनाएँ आत्मसात कर सकते हैं। )
☆ साप्ताहिक स्तंभ – सुजित साहित्य #42 ☆
☆ शब्द पक्षी…! ☆
मेंदूतल्या घरट्यात जन्मलेली
शब्दांची पिल्ल
मला जराही स्वस्थ बसू देत नाही
चालू असतो सतत चिवचिवाट
कागदावर उतरण्याची त्यांची धडपड
मला सहन करावी लागते
जोपर्यंत घरट सोडून
शब्द अन् शब्द पानावर
मुक्त विहार करत नाहीत तोपर्यंत
आणि ..
तेच शब्द कागदावर मोकळा श्वास
घेत असतानाच पुन्हा
एखादा नवा शब्द पक्षी
माझ्या मेंदूतल्या घरट्यात
आपल्या शब्द पिल्लांना सोडुन
उडून जातो माझी
अस्वस्थता ,चलबिचल
हुरहुर अशीच कायम
टिकवून ठेवण्या साठी…!
…©सुजित कदम
मो.७२७६२८२६२६