सुश्री स्वपना अमृतकर
(यह हमारे लिए गर्व का विषय है कि ई-अभिव्यक्ति से प्रारम्भ से जुडी हुई पुणे की युवा मराठी साहित्यकार सुश्री स्वपना अमृतकर जी को इस वर्ष दीपावली पर्व के पूर्व 13 अक्तूबर को उनकी रचना “वेदनांची नोंद” (मराठी कविता) पर द्वितीय पुरस्कार प्राप्त हुआ है। यह कविता हाल ही में सम्पूर्ण राष्ट्र में आई बाढ़ के ऊपर आधारित है। उन्होने इस संवेदनात्मक कविता के माध्यम से बाढ़ के भयावह संकट पर हुए जान माल की हानि पर अपनी भवनाएं प्रकट की हैं। इस सम्मान के लिए सुश्री स्वप्ना जी को हार्दिक बधाई।)
☆ वेदनांची नोंद ☆
गाफिल होते सारे
विशाल निळाई खाली
विध्वंषक प्रलयाची
धावून लाट आली, १
संसार रेशीमचित्रे
पाण्यात वाहूनी गेली
आकांत करूनी सार्र्या
गेल्या विझूनी मशाली, २
गेल्या खचूनी भिंती
उरलाय फक्त गाळ
वेदनांची नोंदही नाही
हुंदक्यात पेटे जाळ , ३
पुसणार अश्रू येथे
दरबार शासकांचा
शब्दास आज खोटी
हरताळ फासे वाचा, ४….
© स्वप्ना अमृतकर , पुणे