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(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)
🍁 शब्दसृष्टि प्रतिष्ठान” और “डॉ. विजया स्मृति अंतरराष्ट्रीय अनुवाद एवं अनुसंधान केंद्र” द्वारा “प्रकाश-पर्व” गौरव ग्रंथ लोकार्पित 🍁
“शब्दसृष्टि प्रतिष्ठान” और “डॉ. विजया स्मृति अंतरराष्ट्रीय अनुवाद एवं अनुसंधान केंद्र, मुंबई” की ओर से आयोजित “प्रकाश-पर्व” गौरव ग्रंथ का लोकार्पण समारोह “मुंबई प्रेस क्लब” में संपन्न हुआ l इस समारोह का अध्यक्ष स्थान श्री दाजी पणशीकर जी (महाभारत के भाष्यकार व ज्येष्ठ चिंतक) ने विभूषित किया तो समारोह के प्रमुख अतिथि एवं वक्ता के रूप में श्री दिनकर गांगल जी (ज्येष्ठ पत्रकार, थिंक महाराष्ट्र आंदोलन के प्रर्वतक व “ग्रंथाली” के संस्थापक) उपस्थित थे तथा इस समारोह के प्रमुख आकर्षण अनुवाद-तपस्वी श्री प्रकाश भातम्ब्रेकर जी थे l
विश्व अनुवाद दिवस अर्थात 30 सितंबर के दिन इस कार्यक्रम का आयोजन मुंबई में किया गया था l
प्रमुख वक्ताओं के रूप में प्रा. सुहासिनी कीर्तिकर (मुंबई मराठी साहित्य संघ की अक्षरदालन की प्रमुख) तथा डॉ. सतीश पांडेय (अधिष्ठाता, कला शाखा, सोमैया कॉलेज, मुंबई) उपस्थित रहे l डॉ. सुहासिनी कीर्तिकर ने सांस्कृतिक दृष्टि से श्री. प्रकाश भातंब्रेकर ने सशक्त अनुवाद करने पर उन्हें बधाईयाँ दी l प्रमुख वक्ता डॉ. सतीश पांडे ने अपने व्याख्यान में कहा कि आदर्श अनुवाद के लिए रचना की भाषा में निहित समाज की मानसिकता को समझना जरूरी होता है l वरिष्ठ लेखक और कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री. दाजी पणशीकर ने साहित्य शाश्वत मूल्यों का होना आवश्यक है यह बताकर अनुवाद में भावानुवाद को सर्वश्रेष्ठ प्रतिपादित किया l सभी वक्ताओं ने “साहित्यिक अनुवाद” पर अपने विचार व्यक्त करते हुए अनुवाद तपस्वी श्री प्रकाश भातम्ब्रेकर जी से जुड़े अपने अनुभव साझा किए l अनुवाद-तपस्वी श्री प्रकाश भातम्ब्रेकर जी ने अपने मनोगत द्वारा अपनी “जीवनयात्रा व साहित्ययात्रा” पर प्रकाश डालते हुए अनुवादकों का मार्गदर्शन किया l
“शब्दसृष्टि प्रतिष्ठान” के संस्थापक-अध्यक्ष व “प्रकाश-पर्व” के प्रमुख संपादक प्रा. डॉ. मनोहर जी समारोह में प्रकृति अस्वास्थ्य के कारण उपस्थित नहीं रह पाए l उनके “संपादकीय मनोगत” का प्रस्तुतिकरण “शब्दसृष्टि प्रतिष्ठान” के न्यासी-कार्याध्यक्ष प्राचार्य मुकुंद आंधळकर जी द्वारा किया गया l
अनुवाद तपस्वी श्री प्रकाश भातम्ब्रेकर जी के मौलिक लेखन, साहित्य क्षेत्र के विद्वान व पारिवारिक सदस्यों द्वारा लिखित संस्मरण (हिंदी-मराठी-अंग्रेजी में) तथा उनके द्वारा अनूदित रचनाओं के अंश व उन रचनाओं की समीक्षा और उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर कुछ विशेष लेख, आदि रचनाओं के साथ “शब्दसृष्टि प्रतिष्ठान” की न्यासी व मानद सचिव सुश्री आशा रानी जी द्वारा विस्तृत “जीवन-परिचय”, आदि का प्रकाश-पर्व इस गौरव ग्रंथ में समावेश किया गया है l
इस गौरव ग्रंथ का प्रकाशन “शब्दसृष्टि प्रतिष्ठान” तथा “शब्द ग्राफिक्स” की ओर से किया गया l इसका मुख्य संपादन डॉ. मनोहर जी तथा संपादन सहयोग सुश्री आशा रानी, डॉ. उषा मिश्र और प्राचार्य मुकुंद आंधळकर जी ने किया l
इस ग्रंथ के निर्माण की संकल्पना प्रा. डॉ. मनोहर जी की थी. इसके फलस्वरूप अनुवादक-लेखक श्री प्रकाश भातम्ब्रेकर जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर केंद्रित प्रस्तुत ग्रंथ का निर्माण किया गया l इसके पूर्व अक्तूबर 2022 में हिंदी विभाग, मॉडर्न कला, विज्ञान और वाणिज्य महाविद्यालय, पुणे में “श्री प्रकाश भातम्ब्रेकर गौरव विशेषांक के डिजिटल संस्करण का लोकार्पण हुआ था l
“शब्दसृष्टि प्रतिष्ठान” के न्यासी-कार्याध्यक्ष प्राचार्य मुकुंद आंधळकर जी ने अपने प्रास्ताविक वक्तव्य में “शब्दसृष्टि प्रतिष्ठान” की आज तक की गतिविधियों और आगामी आयोजनों के संदर्भ में जानकारी प्रस्तुत की l
“शब्दसृष्टि प्रतिष्ठान” की सहसचिव व पत्रिका की संपादक तथा “डॉ. विजया स्मृति अंतरराष्ट्रीय अनुवाद व अनुसंधान केंद्र” की सहनिदेशक डॉ. प्रेरणा उबाळे जी ने समारोह का कुशल संचालन किया. इस समारोह का संयोजन “शब्दसृष्टि प्रतिष्ठान” की सहसचिव सुश्री ज्योति कुलकर्णी जी तथा कार्यकारी सदस्य प्रा. विजय मोहिते जी ने किया l समारोह की सफलता के लिए प्रतिष्ठान के कार्यालय सहायक श्री घन:श्याम जोगळेकर जी व श्री रवींद्र महाडिक तथा तकनीकी टीम के सदस्य श्री प्रेम विश्वकर्मा जी व श्री रिषभ विश्वकर्मा ने विशेष प्रयत्न किए l इस समारोह में मराठी, हिंदी, गुजराती व अंग्रेजी के लेखक-कवि तथा मुंबई के विविध महाविद्यालयों के छात्र-छात्राएं उपस्थित थे l
साभार – डॉ. प्रेरणा उबाळे
सहायक प्राध्यापक, हिंदी विभागाध्यक्षा, मॉडर्न कला, विज्ञान और वाणिज्य महाविद्यालय (स्वायत्त), शिवाजीनगर, पुणे ०५
संपर्क – 7028525378 / [email protected]
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈