सुश्री इन्दिरा किसलय
☆ “पाँच क्षणिकाएं…” ☆ सुश्री इन्दिरा किसलय ☆
1-फर्क
फर्क है
बेहद महीन
मूर्तियों ने
आकाश छुआ
रुपए ने
जमीन !!
2 –जादू
मंदिर ,सोने के
झोंपड़ी
फूस की
गजब की जादूगरी है
घूस की !!
3—युद्ध
अहर्निश
युद्धरत
आम आदमी
समझेगा कौन
बुद्धिजीवी
मौन !!
4–महारत
हमारी
शिल्पकला
शास्त्रसम्मत है
हमें
पत्थर को भगवान
बनाने में
महारत है !!
5–उपहार
-वो
आदमी से बना
केंचुआ
बहुत कुछ हुआ हासिल
दो मुँह
और चार जोड़ी दिल !!
© सुश्री इंदिरा किसलय
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈