श्री सुरेश पटवा
(श्री सुरेश पटवा जी भारतीय स्टेट बैंक से सहायक महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं और स्वतंत्र लेखन में व्यस्त हैं। आपकी प्रिय विधा साहित्य, दर्शन, इतिहास, पर्यटन आदि हैं। आपकी पुस्तकों स्त्री-पुरुष “, गुलामी की कहानी, पंचमढ़ी की कहानी, नर्मदा : सौंदर्य, समृद्धि और वैराग्य की (नर्मदा घाटी का इतिहास) एवं तलवार की धार को सारे विश्व में पाठकों से अपार स्नेह व प्रतिसाद मिला है। श्री सुरेश पटवा जी ‘आतिश’ उपनाम से गज़लें भी लिखते हैं ।प्रस्तुत है आपका साप्ताहिक स्तम्भ आतिश का तरकश।आज प्रस्तुत है आपकी ग़ज़ल “हमने तो शिद्दत से निभाए तुमसे रिश्ते…”।)
ग़ज़ल # 63 – “हमने तो शिद्दत से निभाए तुमसे रिश्ते…” ☆ श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’
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जब मुलाकात हुई तो की बेकार की बात,
कर लेते तुम हमसे थोड़ी प्यार की बात।
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क्यों बदलती इश्क़ की तासीर मौसम जैसी,
कभी इनकार की तो कभी इकरार की बात।
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पास आकर बैठो कभी तो फ़ुरसत से तुम,
ताज़ा कर लें हम पहले इज़हार की बात।
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हमने तो शिद्दत से निभाए तुमसे रिश्ते,
हमेशा परवान चढ़ी है दिलदार की बात।
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मेरी बातें तुम अक्सर क्यों भूल जाते हो,
मगर याद रहती तुम्हें रिश्तेदार की बात।
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कीमतें चीजों की यूँ ही नहीं गिरती-चढ़तीं,
सियासत तय करती शेयर बाजार की बात।
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फ़कत वादों के दम पर ज़िन्दगी नहीं चलती,
आतिश अक्सर सच लगी मयख्वार की बात।
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© श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’
भोपाल, मध्य प्रदेश
≈ सम्पादक श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈