हिन्दी साहित्य☆ साप्ताहिक स्तम्भ – इंद्रधनुष # 31 ☆ संतोष के समसामयिक दोहे ☆ श्री संतोष नेमा “संतोष”

श्री संतोष नेमा “संतोष”

 

(आदरणीय श्री संतोष नेमा जी  कवितायें, व्यंग्य, गजल, दोहे, मुक्तक आदि विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं. धार्मिक एवं सामाजिक संस्कार आपको विरासत में मिले हैं. आपके पिताजी स्वर्गीय देवी चरण नेमा जी ने कई भजन और आरतियाँ लिखीं थीं, जिनका प्रकाशन भी हुआ है. 1982 से आप डाक विभाग में कार्यरत हैं. आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होती रहती हैं। आप  कई सम्मानों / पुरस्कारों से सम्मानित/अलंकृत हैं.    “साप्ताहिक स्तम्भ – इंद्रधनुष” की अगली कड़ी में प्रस्तुत है  श्री संतोष नेमा जी  के  “संतोष के समसामयिक दोहे ”। आप श्री संतोष नेमा जी  की रचनाएँ प्रत्येक शुक्रवार  आत्मसात कर  सकते हैं . ) 

☆ साहित्यिक स्तम्भ – इंद्रधनुष # 31 ☆

☆ संतोष के समसामयिक दोहे   ☆

 

शक्ति

माता इतनी शक्ति दे, कटे अंधेरी रात

हमको यह विस्वास है, होगा नवल प्रभात

 

शैलपुत्री

करें शैलपुत्री नमन , प्रथम दिवस नवरात

हरती विघ्न बाधाएं, देती नव सौगात

 

शारदा

ज्ञान दे माँ शारदे, हरिये भव के पीर

शरण चरण हम आपकी, करें नीर का क्षीर

 

श्रद्धा

दे दो श्रद्धा, भक्ति माँ, हम बालक नादान

दया आपकी बढ़ाती, हम सबका सम्मान

 

नववर्ष

स्वागत सब मिल कर करें, संवत्सर नववर्ष

खत्म आपके हों सभी, जीवन के संघर्ष

 

© संतोष  कुमार नेमा “संतोष”

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आलोकनगर, जबलपुर (म. प्र.)

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