श्री प्रदीप शर्मा
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “नफ़रत का दरिया “।)
किसी सयाने ने कहा, नेकी कर, दरिया में डाल, हमें कहां नेकी का अचार डालना था, पूरी की पूरी नेकी, दरिया में डाल दी।
लोग जैसे बहती गंगा में हाथ धोते हैं, लोगों ने लगे हाथ नेकी के दरिये में भी डुबकी मार ली। गंगा ने सारे पाप धो दिए, घर बैठे नेकी भी बिना कौड़ी खर्च किए चली आई। इसे कहते हैं, मुफ्त का सच्चा सौदा।
उधर हम नेक दिल, अपनी नेकी मुफ्त में ही दरिया में बहा आए, तो हमारे पास क्या बचा, बाबा जी का ठुल्लू ! बड़े दरियादिल बने फिरते थे, नेकी के जाते ही संगदिल बन बैठे। ।
जिस तरह खाली दिमाग शैतान का घर होता है, अगर दिल से नेकी निकल जाए तो क्या बचेगा
उसमें नफरत के सिवाय। नेकी के कारण जो दिल दरिया था, नेकी के जाते ही नफरत का समंदर हो गया। आपने सुना नहीं ;
मुखड़ा क्या देखे दर्पण में।
तेरे दया धरम नहीं मन में ..
ये दया धरम का ही तो नाम नेकी है, आखिर और क्या है नेकी। जब हम धरम की बात करते हैं, तो यह वह धर्म नहीं है, जिस धर्म की ध्वजा फहराई जाती है, और उसका गुणगान किया जाता है, यह साधारण सा, आम आदमी वाला, ईमान धरम है, जो किसी जात पांत और हिंदू मुस्लिम के धर्म को नहीं मानता, सिर्फ इंसानियत के धर्म को मानता है।
जहां ईमान है, वहीं तो धरम है। यारी है ईमान मेरा, यार मेरी बंदगी। जब हम गंगा को मैला होने से नहीं बचा पाए, तो यह नेकी का दरिया क्या चीज है। जिस तरह मन चंगा तो कठौती में गंगा, उसी प्रकार हमारे अंदर अगर नेकी है, तो कभी हमारे दिल में नफरत प्रवेश कर ही नहीं सकती। ।
चारों ओर नेकी ही तो बह रही है। नेक बनाने के भी कई मेक बाजार में उपलब्ध हैं आजकल। गुरुकुल, कॉन्वेंट, सभी नेक बालकों का ही सांदीपनी आश्रम है। सुदामा और कृष्ण दोनों यहीं के रिटर्न हैं। जरा नेकी के दरिये तो देखें, शिक्षक, चिकित्सक, व्यापारी, उधोगपति, वकील, नेता और समाज सुधारक। कितनी नेकी फैल रही है इस देश में, फिर यह नफरत की बू कहां से आ रही है।
नेकी को व्यर्थ दरिया में ना बहाएं, बस नेकदिल बने रहें, तो हर दिल एक मंदर होगा, हर इंसान नेकी का समंदर होगा, नफरत का कहीं नामोनिशान ना होगा ..!!
♥ ♥ ♥ ♥ ♥
© श्री प्रदीप शर्मा
संपर्क – १०१, साहिल रिजेंसी, रोबोट स्क्वायर, MR 9, इंदौर
मो 8319180002
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈