श्री प्रदीप शर्मा
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “योगदान (Contributuon)…“।)
अभी अभी # 444 ⇒ योगदान (Contributuon)… श्री प्रदीप शर्मा
देश की आजादी में भले ही हमारा योगदान ना रहा हो, लेकिन देश को आगे बढ़ाने में तो हर नागरिक का कुछ ना कुछ योगदान रहता ही है। योगदान स्वैच्छिक और नजर भी आ सकता है और परोक्ष अथवा अनिवार्य भी।
हमारा सरकार को कर चुकाना दायित्व भी है और योगदान भी। मतदान भी एक तरह से लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में आपका योगदान ही तो है।
चूंकि यह शब्द संज्ञा है, अत: योगदान के साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। ऐसा प्रतीत होता है, योगदान दो शब्दों से मिलकर बना है, जिनका अपने आप में स्वतंत्र अर्थ है। योग एवं दान। यानी किसी भी तरह के दान में आपकी ओर से भी कुछ जोड़ा जाए अथवा मिलाया जाए। योग जोड़ने अथवा मिलाने को ही तो कहते हैं। अनुदान अथवा अंशदान भी तो योगदान में ही आते हैं। वैसे अनुदान स्वीकार करने में आपकी पात्रता देखी जाती है, इसमें आपका कैसा योगदान।।
अगर वास्तव में योगदान की बात करें तो हमसे अधिक योगदान तो इस संसार में पेड़ पौधों, वनस्पतियों, नदी नालों, सूरज चंदा और पशु पक्षियों का है। पांच में से एक तत्व की भी कमी हुई और हमारी हालत खराब। पेड़ पौधे अगर ऑक्सीजन नहीं छोड़ें और कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण नहीं करें, तो हमारा तो सांस लेना ही दूभर हो जाए।
इसे भी योग ही कहेंगे कि हमारी नजर एक और ऐसे ही शब्द पर पड़ गई जो योगदान से मिलता जुलता है। आप चाहें तो दोनों को एक दूसरे का पूरक भी कह सकते हैं। वहां दान की नहीं, सहयोग की भावना है।।
क्या सहयोग और योगदान में आपको कुछ समानता नज़र आती है। आपका सहयोग ही तो आपका योगदान है। बस दोनों में केवल इतना अंतर है कि सहयोग पूरी तरह स्वैच्छिक होता है। और तो और आजादी के पहले, अंग्रेजों के खिलाफ किया गया असहयोग आंदोलन भी पूरी तरह स्वैच्छिक ही था लेकिन उसमें लोगों का योगदान जबर्दस्त था।
सहयोग का अर्थ दो या अधिक व्यक्तियों या संस्थाओं का मिलकर काम करना है। सहयोग की प्रक्रिया में ज्ञान का बारंबार तथा सभी दिशाओं में आदान-प्रदान होता है। यह एक समान लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में उठाया गया बुद्धि विषयक कार्य है। यह जरूरी नहीं है कि सहयोग के लिये नेतृत्व की आवश्यकता हो।।
साथी हाथ बढ़ाना
एक अकेला थक जाएगा
मिलकर बोझ उठाना ….
आपका सहयोग ही तो आपका योगदान है। सबसे बड़ा योग सहयोग ही है और सबसे बड़ा दान, उस दिशा में आपका योगदान।।
© श्री प्रदीप शर्मा
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