श्री प्रदीप शर्मा
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “पञ्च तन्त्र…“।)
अभी अभी # 473 ⇒ पञ्च तन्त्र… श्री प्रदीप शर्मा
PUNCH TANTRA
हम यहां पंच तत्व की नहीं पंचतंत्र की बात कर रहे हैं । बोलचाल की भाषा में पंच का मतलब पांच ही होता है,और तंत्र के कई मतलब हो सकते हैं:
तंत्र एक व्यवस्थित पाठ, सिद्धांत, प्रणाली, विधि, उपकरण, तकनीक, या अभ्यास हो सकता है.
तंत्र एक प्रक्रिया है जिससे मन और आत्मा को बंधन मुक्त किया जा सकता है. ऐसा माना जाता है कि इस प्रक्रिया से शरीर और मन शुद्ध होते हैं और ईश्वर का अनुभव करने में मदद मिलती है ।
जहां तक पंचतंत्र का प्रश्न है,पंचतंत्र [सं॰ पञ्चतन्त्र] संस्कृत की एक प्रसिद्ध पुस्तक ,जिसमें विष्णुगुप्त द्वारा नीतिविषयक कथाओं का संग्रह है । इसमें पाँच तंत्र हैं जिनके नाम क्रमशः मित्रलाभ, सुहृदभेद, काकोलूकीय, लब्धप्रणाश ओर अपरीक्षित कारक हैं ।।
तंत्र आप व्यवस्था को भी कह सकते हैं । आखिर लोकतंत्र का मतलब “लोगों की, लोगों द्वारा और लोगों के लिए” सरकार ही तो है। हमारी दृष्टि लोकतंत्र में पंचतंत्र को ढूंढ रही है । हमारा पंच तंत्र भी इन पांच तत्वों से ही मिलकर बना है ;
हास्य (humour), व्यंग्य (satire), व्यंग्योक्ति (irony), हंसी (laughter) और विनोद (pun). यहां pun का हिन्दी में मतलब है किसी शब्द या वाक्यांश का विनोदपूर्ण तरीके से इस्तेमाल करना । श्लेष, यमक, श्लेषालंकार, अनेकार्थी शब्द भाषा में रोचकता बनाए रखते हैं ।
पंच इन पांच तंत्रों का ऐसा गुलदस्ता है,जो हास्य और व्यंग्य को और अधिक रोचक और मारक बनाता है । पंच प्रहार को भी कहते हैं । शब्दों के प्रहार से कौन बच पाया है ।।
हास्य और व्यंग्य दोनों की जान है पंच,यानी शब्दों का ऐसा प्रहार शब्दों की ऐसी बौछार की तन मन भीग भी जाए और पाठक की मस्ती भी कायम रहे ।
विसंगति पर प्रहार ही तो पंच है । परसाई शरद जोशी और श्रीलाल शुक्ल के व्यंग्य में पंच ही तो उनकी रोचकता और प्रहार की क्षमता की जान है । लोकतंत्र आज अगर चैन की सांस ले पा रहा है तो उसका श्रेय हास्य और व्यंग्य की दुनिया में पंचतंत्र को ही दिया जा सकता है । प्रहार ही पंच है ।।
© श्री प्रदीप शर्मा
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