श्री प्रदीप शर्मा
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “चार्जर और रिचार्ज…“।)
अभी अभी # 490 ⇒ चार्जर और रिचार्ज… श्री प्रदीप शर्मा
हम सांस लेते हैं इसलिए जिंदा है, जब तक सांस है तब तक आस है। मोबाइल खेत में पैदा नहीं होते उन्हें फैक्ट्री में बनाया जाता है। हार्डवेयर सॉफ्टवेयर के चक्कर में अगर ना भी पड़ें तो एक मोबाइल में बैटरी और सिम दोनों जरूरी है। बैटरी चार्ज करने के लिए अगर चार्जर है तो जिस कंपनी की सिम है वही उसे यथायोग्य शुल्क पर रिचार्ज करती है। यानी आपको अपने मोबाइल को चार्ज भी करते रहना है भी करना है और रिचार्ज भी।
कुछ नई पीढ़ी के युवा फोन का इतना उपयोग करते रहते हैं कि उनका मोबाइल हमेशा चार्जिंग पर ही लगा रहता है। मोबाइल चार्ज भी हो रहा है और वे बातें भी करते जा रहे हैं। ट्रेन में यह दृश्य आसानी से देखा जा सकता है। बैटरी चार्ज करते समय मोबाइल का उपयोग किसी खतरे को आमंत्रण देना है लेकिन कौन सुनता है, समझते सब हैं।।
हमारे शरीर की बैटरी भी खाने-पीने और व्यायाम करने से ही चलती है। उसे समय-समय पर आराम भी देना पड़ता है। जब बैटरी डाउन होती है तो उसे रिचार्ज करना पड़ता है, एक गर्मागर्म चाय का प्याला छोटा रिचार्ज और दही की लस्सी यानी 2 घंटे की छुट्टी।
मेरा मोबाइल ज्यादा पुराना नहीं उसकी उम्र मुश्किल से 3 वर्ष की होगी। अच्छा खाता पीता मोबाइल है रोज चार्ज होता है। एकाएक एक दिन चार्जर ने हाथ खड़े कर दिए। घर में लाइट भी है फिर भी मोबाइल चार्ज नहीं हो रहा। मोबाइल की सांस थम चुकी है, स्क्रीन पर बैटरी जीरो दर्शा रही है। ।
भले ही मेरे मोबाइल में दो जिस्म है यानी दो सिम हैं लेकिन जान तो एक ही है न। हम दोनों पति-पत्नी के बीच केवल एक ही मोबाइल है। पत्नी के लिए अलग से लैंडलाइन फोन की व्यवस्था है। मेरी आस्था अगर फेसबुक में है तो उसकी आस्था टीवी के धार्मिक चैनल में है। उसके संस्कार सत्संग के और मेरे संस्कार मुख्य पोथी और व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के।
उसका टीवी पर सत्संग देर रात तक चला करता है और मेरी सुबह कुछ जल्दी ही हो जाती है। यह आदत अभी-अभी की नहीं है बहुत पुरानी है।
जिनके घरों में एक से अधिक मोबाइल होते हैं उनके पास चार्जर भी बहुत होते हैं। मुझ एक मोबाइल धारक के पास दूसरा चार्जर कहां से आएगा। बिना मोबाइल के मेरा पत्ता भी नहीं हिलता। जल्दबाजी में एक लोकल चार्जर खरीदा जिसने घर में कदम रखते ही मोबाइल चार्ज करने से मना कर दिया। उसे तुरंत बाहर का रास्ता दिखा दिया गया और सबसे पहले एक ऐसे पड़ोसी की सेवाएं ली गई, जिसके पास एक्स्ट्रा चार्जर उपलब्ध था। कभी पड़ोसी से एक कटोरी चाय और शक्कर मांगी जाती थी और आज एक अदद चार्जर मांगना पड़ रहा है। मोबाइल को हंड्रेड परसेंट चार्ज कर दिया और चार्जर वापस पड़ोसी को लौटा दिया गया। फोन की बैटरी ऑफ कर दी गई ताकि काम के समय फोन चालू किया जाए और बाद में वापस बैटरी ऑफ कर दी जाए। यानी पहली बार मोबाइल को भी थोड़ा आराम मिला। ।
वैसे रात को सोते वक्त भी मैं मोबाइल को आराम करने देता हूं बैटरी ऑफ कर देता हूं लेकिन बेचारा सवेरे बहुत जल्दी काम पर लग जाता है। अगर दिन में मोबाइल अधिक समय के लिए बंद कर दिया जाए तो लोगों को चिंता हो जाती है। वैसे कोई चिंता नहीं करता लेकिन जब फोन नहीं लगता तो न जाने कहां से चिंता प्रकट हो जाती है।
फिलहाल तीन महीने की गारंटी पर एक लोकल चार्जर उपलब्ध हुआ है बहुत जल्द किसी अच्छी कंपनी का चार्जर ऑर्डर कर दिया जाएगा। मोबाइल का साथ मेरा दस पंद्रह साल पुराना है।
अकेले में यही दोस्त है यही रहबर है। इसी के कारण तो हमारा आपका भी साथ हुआ है। रिश्तों का रिचार्ज भी कितना जरूरी है आजकल। धन्यवाद चार्जर, आप हैं तो रिचार्ज है, आप हैं तो मोबाइल है। ।
© श्री प्रदीप शर्मा
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