श्री प्रदीप शर्मा

(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “सुबह का तारा।)

?अभी अभी # 511 ⇒ सुबह का तारा ? श्री प्रदीप शर्मा  ?

गया अंधेरा, हुआ उजारा

चमका चमका, सुबह का तारा

अंधेरे को रात का मेहमां कहा गया है। किसी के रोके भी क्या कभी सवेरा रुका है। कई बार ऐसे अवसर आते हैं जीवन में, जब ज़िन्दगी की सुबह ही नहीं होती। ग़म की अंधेरी रात बहुत लंबी हो जाती है। ऐसे में मन को तसल्ली कुछ इस तरह दी जाती है ;

ग़म की अंधेरी रात में

दिल को न बेकरार कर।

सुबह ज़रूर आएगी

सुबह का इंतज़ार कर।।

तारा उम्मीद का आकाश है। एक तारे के सहारे तम का मातम नष्ट किया जा सकता है। उम्मीद की एक किरण ही काफी है, एक खुशहाल जिंदगी जीने के लिए।

दीपावली की रात यूं तो अमावस्या की काली रात होती है, लेकिन जब अरमान अंगड़ाइयां लेते हैं, मन में अनार और फुलझडियां फूटने लगती है, तो मन का आकाश भी सितारों सा टिमटिमाता आकाश बन जाता है और कह उठता है ;

टिम टिम टिम

तारों के दीप जले।

नीले आकाश तले

हम दोनों की प्रीत पले।।

एक सूरज हमारे दिन को दिन बना देता है लेकिन रात में हमें दीया और बाती, आसमां के चांद और तारों के साथ ही काटनी पड़ती है। सुख और दुख को दिन और रात की तरह परिभाषित किया गया है। लेकिन जहां चिराग है, वहां रोशनी है, और जहां रोशनी है, वहां ज़िन्दगी है, ज़िंदादिली है।

कभी कभी परिस्थितियां हमारे जीवन में अंधेरा ला देती हैं, जिजीविषा क्षीण हो जाती है। मन के आसमां में गम के बादल छा जाते हैं, हम अवसाद में बुरी तरह डूब जाते हैं। ऐसे में सुबह का तारा उम्मीद की एक नई किरण लेकर हमारे जीवन में सुबह का आग़ाज़ करता है।।

शुक्र को सुबह का तारा कहा गया है। यह पृथ्वी के सबसे करीब है। सूर्योदय अथवा सूर्यास्त के पश्चात यह कुछ समय के लिए अपनी रोशनी अधिकतम बढ़ाता है। आज का सुबह का तारा एक नई सुबह लेकर आया है।

इस दीपावली के पर्व पर हमने तारे ज़मीन पर भी देखे। जब आसमां में तारे और ज़मीन पर भी तारे हों तो मन के तार भी छिड़ ही जाते हैं। ज़िन्दगी करवट लेने लगती है। एक बच्चे की किलकारी किसी सुबह के तारे से कम नहीं।

सुबह का तारा शुक्र है। हम शुक्रगुजार हैं इस सुबह के तारे के, जो हमारी सुबह को भी चमकाता है और शाम को भी। खुशियों का यह पर्व हमारे जीवन में उत्साह और उमंग की सौगात लेकर आवे। दीपावली पर्व की बधाई एवं शुभकामनाएं।।

♥ ♥ ♥ ♥ ♥

© श्री प्रदीप शर्मा

संपर्क – १०१, साहिल रिजेंसी, रोबोट स्क्वायर, MR 9, इंदौर

मो 8319180002

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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