श्री अजीत सिंह
(हमारे आग्रह पर श्री अजीत सिंह जी (पूर्व समाचार निदेशक, दूरदर्शन) हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए विचारणीय आलेख, वार्ताएं, संस्मरण साझा करते रहते हैं। इसके लिए हम उनके हृदय से आभारी हैं। आज प्रस्तुत है आपका रेडियो दिवस पर एक आलेख ‘रेडियो की शताब्दी, दुनिया को ग्लोबल गांव बना दिया…’।)
☆ आलेख – रेडियो की शताब्दी, दुनिया ग्लोबल गांव बना… ☆ श्री अजीत सिंह, पूर्व समाचार निदेशक, दूरदर्शन ☆
16 फ़रवरी, हिसार। दुनिया में रेडियो स्टेशन बनने की शुरुआत 1920 के दशक में हुई थी और पिछले सौ साल में रेडियो ने बिखरी दुनिया को इस तरह जोड़ा कि लोग कहने लगे कि आज दुनिया ग्लोबल विलेज यानि एक वैश्विक गांव जैसी बन गई है।
13 फरवरी, विश्व रेडियो दिवस पर आकाशवाणी हिसार के स्टूडियो में आयोजित एक श्रोता गोष्ठी में यह बात आकाशवाणी के विभिन्न केंद्रों पर संवाददाता, संपादक व निदेशक के रूप में काम कर चुके दूरदर्शन के पूर्व समाचार निदेशक अजीत सिंह ने कही। इस बार के रेडियो दिवस का ध्येय वाक्य है: सूचना, शिक्षा एवम मनोरंजन की रेडियो की एक शताब्दी।
संचार और संवाद से दूरियां कम होती हैं, समझ बढ़ती है, एकता बनती है , विश्व शांति पनपती है और मानव समुदायों की तरक्की होती है। रेडियो तरंगें राष्ट्रीय सरहदों को नहीं मानती। अधिनायकवादी देशों में आज़ादी और मानवाधिकारों के संदेश ले जाती हैं और सोवियत संघ जैसे देश टूट जाते हैं, अरब राष्ट्रों में कई बादशाहों के सिंहासन डोलते हैं।
जन संचार के माध्यम के रूप में रेडियो ने विभिन्न देशों और क्षेत्रों में ऐसा ही बहुत कुछ पिछले 100 साल में करके दिखाया है।
नई तकनीक के साथ रेडियो का स्वरूप भी बदला है। अब यह सर्वव्यापी, सशक्त पर ऐसा सस्ता माध्यम है जो उस जगह भी काम आता है जहां टेलीविजन और सोशल मीडिया भी काम नहीं कर पाते।
जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के दौरान अपने अनुभव सांझा करते हुए अजीत सिंह ने बताया कि बिजली सप्लाई जैसी व्यवस्था बिगड़ जाने पर आम लोगों के पास जानकारी का एकमात्र साधन रेडियो ही रहता था जिसकी विश्वसनीयता पर उन्हें यकीन था। बाढ़ और युद्ध के समय भी रेडियो ही काम आता है जो अब स्मार्टफोन में भी चलता है।
खेलों का आंखों देखा हाल रेडियो से ही शुरू हुआ। कृषि क्रांति को बढ़ावा रेडियो ने दिया जब किसान हाइब्रिड बीजों को रेडियो बीज कह कर ही पुकारते थे।
- विश्व रेडियो दिवस पर स्मृति चिन्ह ।
- ड्राइवर हरकिशन केंद्र निदेशक पवनकुमार को स्मृति चिन्ह भेंट करते हुए।
- गोष्ठी में भाग लेने वाले चयनित श्रोता आकाशवाणी हिसार में।
श्रोता गोष्ठी में कुछ ऐसे लोगों को आमंत्रित किया गया था जो लंबे समय से रेडियो सुनते आ रहे हैं। इनमें से कुछ तो रेडियो के इतने दीवाने हैं कि रेडियो के बिना रह नहीं सकते। मुंबई और श्रीनगर तक 40 साल तक ट्रक चलाते रहे 66 वर्षीय हरिकिशन ने कहा कि ड्राइवरों के लंबे एकांत में दिन रात के सफ़र का सहारा तो रेडियो ही होता है। आभार स्वरूप उन्होंने मुंबई, दिल्ली और हिसार के आकाशवाणी केंद्रों पर जाकर अपने हाथों से तैयार मोमेंटो उपहार भेंट किए।
लेखिका उर्मिला श्योकंद ने कहा कि आकाशवाणी रोहतक के कार्यक्रम सुनकर वे इतनी प्रभावित थी कि वे रेडियो एनाउंसर बनना चाहती थी। शादी के बाद हिसार आने के कारण उनकी यह इच्छा अधूरी रही क्योंकि उस समय हिसार में आकाशवाणी का केंद्र नहीं था। पर बाद में यह इच्छा कुछ यूं पूरी हुई कि उनकी बेटी जनसंचार की डिग्री लेकर हिसार में कैजुअल एनाउंसर बन गई। उन्होंने रेडियो दिवस पर एक कविता भी सुनाई।
रेडियो के ही कर्मचारी राजीव शर्मा ने कहा कि रेडियो ने संगीत का अपार प्रसार कर इसे अमर कर दिया है । उन्होंने एक गीत भी पेश किया।
एक और श्रोता रमेश वर्मा ने कहा कि जो काम रेडियो के माध्यम से फिल्म संगीत के प्रसार का रेडियो सीलोन पर कभी अमीन सयानी करते थे, वही काम आज विविध भारती चैनल पर युनुस खान कर रहे हैं।
श्रोता सोनू का कहना था कि रेडियो किसानों के लिए स्थानीय भाषा में गागर में सागर भर कर जानकारी देता है।
उन्होंने कहा कि इंटरनेट के ज़रिए अब दुनिया के किसी भी रेडियो स्टेशन को कहीं भी सुना जा सकता है।
निहाल सिंह सैनी ने कहा कि रेडियो तो मन का रंगमंच, थिएटर ऑफ माइंड है, यह श्रोता की कल्पना शक्ति को उड़ान देता है।
उन्होंने कहा कि रेडियो का महत्व इस बात से भी समझा जा सकता है कि सैनिक या अन्य क्रांति के समय सत्ता हथियाने वाले सबसे पहले रेडियो स्टेशन पर कब्ज़ा करते हैं।
प्रगतिशील किसान दलबीर सिंह आर्य का कहना था कि हरित क्रांति का प्रसार रेडियो के माध्यम से हुआ और यह प्रक्रिया आज भी जारी है।
आकाशवाणी हिसार के केंद्र निदेशक पवनकुमार ने कहा यह धारणा गलत है कि रेडियो के श्रोता कम हो रहे हैं। आकाशवाणी हिसार के फोन-इन जैसे कार्यक्रमों में श्रोताओं को नंबर ही नहीं मिल पाता। कुछ तो पक्षपात का आरोप लगाते हुए केंद्र तक पहुंच जाते हैं और हम उन्हे संतुष्ट करने का प्रयास करते हैं। उन्होंने बताया कि हिसार केंद्र को ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, इंग्लैंड और अन्य देशों से श्रोताओं के लगातार फोन आते हैं। श्रोता इतने दीवाने हैं कि उन्होंने रेडियो श्रोता क्लब बनाए हुए हैं। वे अपनी पत्रिकाएं निकालते हैं और वार्षिक सम्मेलन करते हैं।
व्हाट्सएप और ईमेल की सुविधा के कारण संपर्क आसान हो गया है। कुछ श्रोता इतने सजग हैं कि किसी कार्यक्रम में छोटी सी भी गलती पकड़ लेते हैं और उसकी शिकायत करते हैं। हम स्वीकार करते हुए उनका धन्यवाद करते हैं।
सभी ने रेडियो की पिछली शताब्दी पर बधाई दी और आगामी शताब्दी के लिए शुभ कामनाएं अर्पित की।
रेडियो की वरिष्ठ एनाउंसर ऋतु कौशिक ने श्रोता गोष्ठी का संचालन किया।
गोष्ठी में भाग लेने वाले सभी श्रोताओं को केंद्र निदेशक पवन कुमार ने स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।
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© श्री अजीत सिंह
पूर्व समाचार निदेशक, दूरदर्शन हिसार।
मो : 9466647037
(लेखक श्री अजीत सिंह हिसार से स्वतंत्र पत्रकार हैं । वे 2006 में दूरदर्शन केंद्र हिसार के समाचार निदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुए।)
≈ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈