ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय
☆ आलेख ☆ विवाह बाधा योग और दूर करने के उपाय ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆
अपने समाज पर दृष्टि डालने पर हम पाते हैं कि अधिकांश माता-पिता अपने बच्चों के विवाह को लेकर बहुत चिंतित रहते हैं। अगर बच्चों ने लव मैरिज भी कर ली है तो उनका वैवाहिक जीवन ठीक चलेगा या नहीं इसका भी माता-पिता को काफी चिंता रहती है। उनकी चिंता को दूर करने के लिए अगर हम बालक और बालिका के कुंडली का विश्लेषण करें तो हम आसानी से पता कर सकते हैं कि उनके विवाह में देरी या वैवाहिक जीवन ठीक से न चलने का क्या कारण है। इसके अलावा हम यह भी जान सकते हैं कि विवाह हो तथा वैवाहिक जीवन ठीक चले इसके लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए। आइये आज हम इसी पर चर्चा करते हैं।
विवाह होने में होने वाली परेशानी तथा वैवाहिक जीवन की परेशानी का मुख्य कारण विवाह बाधा योग है।
विवाह बाधा योग लड़के, लड़कियों की कुंडलियों में समान रूप से लागू होते हैं, अंतर केवल इतना है कि लड़कियों की कुंडली में गुरू की स्थिति पर विचार तथा लड़कों की कुंडलियों में शुक्र की विशेष स्थिति पर विचार करना होता है।
(1) यदि कुंडली में सप्तम भाव ग्रह रहित हो और सप्तमेश बलहीन हो, सप्तम भाव पर शुभ ग्रहों की दृष्टि न हो तो, ऐसे जातक को अच्छा पति/पत्नी मिल पाना संभव नहीं हो पाता है।
(2) सप्तम भाव में बुध-शनि की युति होने पर भी दाम्पत्य सुख की हानि होती है। सप्तम भाव में यदि सूर्य, शनि, राहू-केतू आदि में से एकाधिक ग्रह हों अथवा इनमें से एकाधिक ग्रहों की दृष्टि हो तो भी दाम्पत्य सुख बिगड़ जाता है।
(3) यदि कुण्डली में सप्तम भाव पर शुभाशुभ ग्रहों का प्रभाव हो तो पुनर्विवाह की संभावना रहती है। नवांश कुंडली में यदि मंगल या शुक्र का राशि परिवर्तन हो, या जन्म कुंडली में चंद्र, मंगल, शुक्र संयुक्त रूप से सप्तम भाव में हों, तो ये योग चरित्रहीनता का कारण बनते हैं, और इस कारण दाम्पत्य सुख बिगड़ सकता है।
(4) यदि जन्मलग्न या चंद्र लग्न से सातवें या आठवें भाव में पाप ग्रह हों, या आठवें स्थान का स्वामी सातवें भाव में हो, तथा सातवें भाव के स्वामी पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो, तो दाम्पत्य जीवन सुखी होने में बहुत बाधाएं आती हैं।
(5) यदि नवम भाव या दशम भाव के स्वामी, अष्टमेश या षष्ठेश के साथ स्थित हों, तो दांपत्य जीवन में दरार आ सकती है।
(6) अगर लग्नेश तथा शनि बलहीन हों, चार या चार से अधिक ग्रह कुंडली में कहीं भी एक साथ स्थित हों अथवा द्रेष्काण कुंडली में चन्द्रमा शनि के द्रेष्काण में गया हो, और नवांश कुंडली में मंगल के नवांश में शनि हो, और उस पर मंगल की दृष्टि हो तो तो भी वैवाहिक जीवन में विभिन्न परेशानियां आती हैं।
(7) अगर सूर्य, गुरू, चन्द्रमा में से एक भी ग्रह बलहीन होकर लग्न में दशम में, या बारहवें भाव में हो और बलवान शनि की पूर्ण दृष्टि में हो, तो ये योग जातक या जातिका को सन्यासी प्रवृत्ति देते हैं, या फिर वैराग्य भाव के कारण अलगाव की स्थिति आ जाती है, और विवाह की ओर उनका लगाव बहुत कम होता है।
(8) यदि लग्नेश भाग्य भाव में हो तथा नवमेश पति स्थान में स्थित हो, तो ऐसी लड़की भाग्यशाली पति के साथ स्वयं भाग्यशाली होती है। उसको अपने कुटुम्बी सदस्यों द्वारा एवं समाज द्वारा पूर्ण मान-सम्मान दिया जाता है। इसी प्रकार यदि लग्नेश, चतुर्थेश तथा पंचमेश त्रिकोण या केंद्र में स्थित हों तो भी उपरोक्त फल प्राप्त होता है।
(9) यदि सप्तम भाव में शनि और बुध एक साथ हों और चंद्रमा विषम राशि में हो, तो दाम्पत्य जीवन कलहयुक्त बनता है और अलगाव की संभावना होती है।
(10) यदि जातिका की कुुण्डली में सप्तम भाव, सप्तमेश एवं गुरू तथा जातक की कुण्डली में सप्तम भाव सप्तमेश एवं शुक्र पाप प्रभाव में हों, तथा द्वितीय भाव का स्वामी छठवें, आठवें या बारहवें भाव में हो, तो इस योग वाले जातक-जातिकाओं को अविवाहित रह जाना पड़ता है।
(11) शुक्र, गुरू बलहीन हों या अस्त हों, सप्तमेश भी बलहीन हो या अस्त हो, तथा सातवें भाव में राहू एवं शनि स्थित हों, तो विवाह होने में बहुत परेशानी होती है।
(12) लग्न, दूसरा भाव और सप्तम भाव पाप ग्रहोें से युक्त हों, और उन पर शुभ ग्रह की पूर्ण दृष्टि न हो, तो भी विवाह होने में बहुत ज्यादा परेशानी हो सकती है।
(13) यदि शुक्र, सूर्य तथा चंद्रमा पुरूषों की कुंडली में तथा सूर्य, गुरू, चंद्रमा, महिलाओं की कुंडली में एक ही नवांश में हों, तथा छठवें, आठवें तथा बारहवें भाव में हों, तो भी विवाह मैं बहुत बाधा आती है।
इस प्रकार ज्योतिषीय ग्रंथों में अनेकानेक कुयोग मिलते हैं जो या तो विवाह होने ही नहीं देते हैं, अथवा विवाह हो भी जाये तो दाम्पत्य सुख को तहस-नहस कर देते हैं।
इस प्रकार के समस्याओं से निपटने के लिए पूरी कुंडली का विश्लेषण करना आवश्यक होता है। पूरी कुंडली के विश्लेषण के पश्चात उचित पूजा पाठ या अन्य प्रभावी उपाय किए जा सकते हैं।
अगर आप पूरी कुंडली का विश्लेषण करवाना चाहते हैं आपको मुझसे दूरभाष पर या व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर अपनी कुंडली का विश्लेषण करवाना चाहिए। मां शारदा से प्रार्थना है कि आप सदैव स्वस्थ सुखी और संपन्न रहें।
विवाह बाधा योग को दूर करने के उपाय:-
1- नारी जातक के लिए पुखराज का पहनना एक अच्छा उपाय है।
2- पुरुष जातक के लिए हीरे की अंगूठी पहनना भी अच्छा उपाय हो सकता है।
3- सप्तमेश की पूजा करना या सप्तमेश के लिए उपयुक्त रत्न को धारण करना एक अच्छा उपाय है।
4- शनि, राहु, केतु और मंगल की बुरी दृष्टि होने के कारण विवाह बाधा योग बनने पर इन ग्रहों की पूजा करना एक अच्छा विकल्प होता है।
5- अगर ये उपाय काम नहीं करते हैं तो मेरे पास जातक की डिटेल भेज कर उपाय प्राप्त किया जा सकता है। परंतु इसके लिए पहले जातक का आसरा ज्योतिष में दूरभाष क्रमांक 89 59594400 पर रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है।
निवेदक:-
ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय
(प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ और वास्तु शास्त्री)
सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता, मध्यप्रदेश विद्युत् मंडल
संपर्क – साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया, सागर- 470004 मध्यप्रदेश
मो – 8959594400
ईमेल – [email protected]
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≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈