हिन्दी साहित्य – आलेख ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – भारतीय ज्योतिष शास्त्र भाग 2 – भारतीय ज्योतिष शास्त्र में हस्तरेखा का महत्व ☆ श्री सूबेदार पाण्डेय “आत्मानंद”

श्री सूबेदार पाण्डेय “आत्मानंद”


(आज  “साप्ताहिक स्तम्भ -आत्मानंद  साहित्य “ में प्रस्तुत है  जनसामान्य  के  ज्ञानवर्धन के लिए भारतीय ज्योतिष विषय पर एक शोधपरक आलेख भारतीय ज्योतिष शास्त्र भाग 2  – भारतीय ज्योतिष शास्त्र में हस्तरेखा का महत्व . भारतीय ज्योतिष शास्त्र के दोनों आलेखों के सम्पादन  सहयोग के लिए युवा ज्ञाता  श्री आशीष कुमार जी का हार्दिक आभार।

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – आत्मानंद साहित्य – भारतीय ज्योतिष शास्त्र भाग 2  – भारतीय ज्योतिष शास्त्र में हस्तरेखा का महत्व

भारतीय ज्योतिष शास्त्र में हस्तरेखाओं का अलग ही महत्व है, व्यक्ति के कार्यशील हाथों तथा उसकी बनावट को देख कर बहुत कुछ जाना तथा समझा जा सकता है, हाथ व्यक्ति के शरीर का बहुत महत्वपूर्ण अंग है, पौराणिक मान्यता केअनुसार हमारे दिन की सुरूआत ही हाथों के दर्शन से होती है तथा हाथों के द्वारा किये गये शुभ कर्मों की शुरुआत ही दान धर्म से होती है जो जीवन में सुख शांति और समृद्धि के साथ-साथ सौहार्द का वातावरण भी सृजित करती है श्रद्धा से जुड़े हुए हाथ और झुके सिर विनम्रता सौम्यता तथा श्रद्धा का बोध कराते हैं जो हमारी संस्कृति के संवाहक है उनमें अलग ही आकर्षण होता है। पौराणिक नियम के अनुसार सर्वप्रथम व्यक्ति को निद्रा से जागने के बाद अपने हाथों को ही देखना चाहिए इससे व्यक्ति  मुखदर्शन के दोष से बच  सकता है इसलिए व्यक्ति को सुबह अपना हाथ ही देखना चाहिए।

कर दर्शन का मंत्र है—-

कराग्रे वसते लक्ष्मी ,कर मध्ये सरस्वती।

करमूले स्थितो ब्रह्मा  प्रभाते कर दर्शनम्।

अथवा

ब्रह्मामुरारी त्रिपुरांतकारी भानूसषि भूमि सुतौ बुधश्च।

गुरूश्चशुक्रौ शनिराहु केतव: सर्वे ग्रहा शांतु कराभवंते।।

अर्थात् हाथ में धन की देवी लक्ष्मी विद्या की देवी सरस्वती तथा सृष्टि कर्ता ब्रह्मा का निवास है। तथा हाथ में ही नवग्रहों का निवास है उनकी आराधना से ग्रहों के कोप का समन होता है। इसीलिए भारतीय ज्योतिष में ये बड़ा महत्व पूर्ण हो जाता है एक कुशल हस्तरेखा विशेषज्ञ हाथों की बनावट रंग रूप आकृति प्रकृति तथा उनमें बनने मिटने वाली रेखा देख कर बहुत कुछ भविष्यवाणी कर सकता है। मणिबंध रेखा से ही हस्तनिर्माण की शुरुआत मानी जाती है हाथों में नवग्रहों का स्थान भी ज्योतिष विज्ञानियों द्वारा निर्धारित किया गया है। तथा हाथों में ही हृदय रेखा, मस्तिष्क रेखा और आयु रेखा होती है, जिसे देखकर मानव का जीवन काल हृदय की भावना तथा बुद्धिमत्ता का आकलन किया जाता है।

एक चतुर हस्तरेखा विशेषज्ञ ही ठीक-ठाक भविष्य वाणी हाथ देख कर कर सकता है,रेखायें समय के साथ बनती तथा मिटती रहती है जो बहुत कुछ संकेत देती है। इनका संबंध मनोविज्ञान से भी बहुत गहराई से जुड़ा है। हाथों में स्थित नवग्रहों के उभरे अथवा दबे क्षेत्र तथा अनेक चिन्ह बहुत कुछ संकेत करते हैं उन्हें पढ़ना एक विशेषज्ञ हस्तरेखा विज्ञानी के लिए बहुत ही आसान है। जिस प्रकार जातक के जन्म के समय की खगोलीय स्थिति जन्मकुंडली में कालखंडों के ग्रहों नक्षत्रों के स्वभाव प्रभाव का अध्ययन करने में सहायक होती है। उसी प्रकार हस्तरेखा भी जातक के भूत भविष्य वर्तमान को दर्शाती है। इसका निर्धारण हस्तरेखा ही करती है। व्यक्ति बुद्धिहीन है अथवा बुद्धिमान यह तो हस्तरेखा विषेषज्ञ देखते भांप लेता है,क्योकि बुद्धिमान व्यक्ति का हाथ कोमलता युक्त लालिमा लिए होता है, वहीं मोटी बुद्धि वाले व्यक्ति का हाथ कठोर होता है तथा उसके हाथों की रेखाएं अस्पष्ट होती है। उसी प्रकार शारीरिक बनावट आदि भी हस्तरेखाओं के द्वारा भविष्य वाणी के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभातीं है जो विषय विशेषज्ञों के शोध की विषय वस्तु है।

© सुबेदार पांडेय “आत्मानंद”

संपर्क – ग्राम जमसार, सिंधोरा बाज़ार, वाराणसी – 221208, मोबा—6387407266

विशेष – प्रस्तुत आलेख  के तथ्यात्मक आधार ज्योतिष शास्त्र की पुस्तकों पंचागों के तथ्य आधारित है भाषा शैली शब्द प्रवाह तथा विचार लेखक के अपने है, तथ्यो तथा शब्दों की त्रुटि संभव है, लेखक किसी भी प्रकार का दावा प्रतिदावा स्वीकार नहीं करता। पाठक स्वविवेक से इस विषय के समर्थन अथवा विरोध के लिए स्वतंत्र हैं, जो उनकी अपनी मान्यताओं तथा समझ पर निर्भर है।