॥ मार्गदर्शक चिंतन

☆ ॥ संयोग ॥ – प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’☆

जो पूर्व निर्धारित नहीं होता, ऐसे अचानक संपन्न हुये कार्य को संयोग से हुआ कार्य कहा जाता है। संयोग का इस संसार में बहुत बड़ा महत्व है। हर एक के जीवन का बारीक विवेचन यदि किया जाये तो साफ समझ में आयेगा कि जीवन में संयोगवश घटनेवाली घटनाओं का पूर्व निर्धारित करके संपन्न की जाने वाली घटनाओं की अपेक्षा प्रतिशत अधिक है। विद्यार्थी जीवन में शिक्षा समाप्त कर भावी जीवन यात्रा का निर्धारण अधिकांश लोगों के संयोग से ही होता है। पहले मन में यद्यपि शिक्षा का क्षेत्र तय करके भी अध्ययन पूर्ण कोई कर ले परन्तु फिर भी उस निर्धारित क्षेत्र में कौन सी सेवा, पद तथा स्थान प्राप्त होगा यह अनिश्चित होता है। सेवा में प्रवेश या खुद के व्यवसाय अथवा व्यापार का निर्धारण प्राय: संयोग से ही हो पाता है।

जीवन की बड़ी विचित्रता यह है कि व्यक्ति अपने जीवन के भविष्य का निर्धारण खुद स्पष्टत: नहीं कर पाता। परिस्थितियां उससे कभी उसकी इच्छा के विपरीत भी कार्य संपन्न करा लेती हैं। जन्म से मृत्यु तक व्यक्ति आकस्मिक संयोगों के अधीन ही जीता है। इसका प्रमाण तो हर व्यक्ति अपने बचपन से आगे बढ़ते जीवन को भी स्वत: देख सकता है। आकस्मिक घटनायें, परिवर्तन, मौसम के प्रकोप और बदलाव, भूकम्प, सुनामी, तूफान सभी कभी भी व्यक्ति के जीवन में बड़े परिवर्तन कर जाते हैं। जीवन की दिशा ही बदल जाते हैं। असंभव व अनजानी परिस्थितियां पैदा कर जाते हैं। यह सब संयोग से होता है। भारत का विभाजन और नये देश पाकिस्तान का निर्माण इसका एक ऐसा बड़ा उदाहरण है जिसने करोड़ों जिंदगियों को नष्ट कर नयी दिशा दी। घर बदल गये, देश बदल गया, रोजगार बदल गया और इतना ही क्यों कई के जीवन में उनका धर्म और परिवार बदल गया। कौन जानता था कि देश का ऐसा विभाजन होगा आने वाली पीढिय़ों का पूरा भविष्य ही बदल जायेगा। लाखों जिंदगियां सामान की तरह एक स्थान से दूसरे सवर्था नये भूभाग में पार्सल की भांति स्थानांतरित हो जायेंगी और सर्वथा नये पौधों की तरह दूसरे खेतों में रोप दी जायेंगी।

इसी प्रकार के बड़े उदाहरण पिछले वर्षों आये हुये सुनामी संकट हैं, जिनने दक्षिण पूर्व एशिया, भारत और पास के द्वीपों- अंदमान इत्यादि में हजारों प्राणियों को एक क्षण में मृत्यु के मुख में भर दिया। जापान में अभी कुछ ही वर्षों पूर्व फूकूसीमा में भूकम्प और सुनामी हमलों में सबकुछ नष्ट कर जीवन को प्रभावित किया।

पुराने युग को याद करें तो दशरथ पुत्र राम या राज्याभिषेक होना निर्धारित किया गया था। सारी साज-सज्जा हो चुकी थी पर प्रात: सहसा आये पारिवारिक भूचाल ने उन्हें राजतिलक के बदले 14 वर्ष के लिये वनवास को जाना पड़ा। भारत के इतिहास के अनेकों प्रसंग हैं जो अजब संयोग घटित कर गये और सारा मानव जीवन ही तहस-नहस हो गया। इनमें महावीर के जीवन में विराग की उत्पत्ति सिद्धार्थ का राजसुख से दूर जीवन में दुखों के कारण के खोज की बलवती इच्छा, सम्राट अशोक की उत्कल पर भीषण मारकाट के बाद जीत और फिर हृदय परिवर्तन से करुणा के भाव का जागरण। युद्ध से विरक्ति और बौद्ध धर्म की अहिंसा तथा करुणा के प्रभाव से बौद्ध धर्म के प्रचार में रत हो जाना। ऐसे अनेकों प्रसंग हैं सारे विश्व इतिहास में जिनसे इतिहास का रुख ही बदल गया। इस प्रकार यह स्पष्ट देखा जाता है कि व्यक्ति का सोचा-विचारा निर्णय या कार्य संयोगवश पूरा नहीं हो पाता है। इसीलिये कहा जाता है कि सोच-विचार करने वाला तो मनुष्य होता है कार्य संपन्न किसी अज्ञात महाशक्ति के द्वारा होते हैं जिसे हम ईश्वर कहते हैं। वही संसार की घटनाओं का संचालक है और वही ऐसे संयोग तैयार करता है जो कभी-कभी अत्यन्त चमत्कारी होते हैं। इसीलिये कहा है-

कर्ता के मन और कुछ, सृष्टा के कुछ और।

दृष्टि है जिसकी हर समय इस जग में हर ठौर॥

इस प्रकार संसार में संयोग का बड़ा महत्व है। संयोगों ने ही इतिहास रचा है।

© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

 ए २३३, ओल्ड मीनाल रेसीडेंसी, भोपाल, म.प्र. भारत पिन ४६२०२३ मो ७०००३७५७९८ [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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