श्री हरभगवान चावला
( ई-अभिव्यक्ति में सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री हरभगवान चावला जी का हार्दिक स्वागत।sअब तक पांच कविता संग्रह प्रकाशित। कई स्तरीय पत्र पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। कथादेश द्वारा लघुकथा एवं कहानी के लिए पुरस्कृत । हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा श्रेष्ठ कृति सम्मान। प्राचार्य पद से सेवानिवृत्ति के पश्चात स्वतंत्र लेखन।)
आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय रचना ‘कहानियाँ’।)
☆ कथा-कहानी – कहानियाँ ☆ श्री हरभगवान चावला ☆
[1]
कहानियाँ अगर फाँस सी कसकने लगें
तो उन्हें हर हाल में सुना जाना चाहिए
कहानियाँ अगर अनसुनी मर जाएँ
तो समाज मर जाता है उनके साथ
सभ्यता और संस्कृति भी।
[2]
बड़ी-बड़ी हवेलियों के तहख़ानों में
बहुत सी चीख़ती कहानियाँ ज़िन्दा हैं
जिस दिन तहख़ानों में हवा दाख़िल होगी
बादल प्रलय की तरह बरसेंगे
और आलीशान हवेलियाँ ढह जाएँगी।
[3]
राजाओं की कहानियों में युद्ध थे
जीत का दर्प था या हार की शर्मिंदगी
इन कहानियों को पढ़ते हुए
लाशों की गंध आती है
उंगलियाँ लहू से लिथड़ जाती हैं।
[4]
कुछ कहानियाँ भरी जवानी में
दीवारों में ज़िन्दा चुनवा दी गईं
प्रेत हो गईं ये कहानियाँ जब रोती हैं
तो इनके साथ रोता है इतिहास भी
और कातर धरती काँप जाती है।
[5]
कुछ कहानियां अंकुर की तरह फूटती हैं
ज़रूरी नहीं कि अंकुर पौधे बन ही जाएँ
अक्सर ये अंकुर सूखे से झुलस जाते हैं
उखाड़ दिए जाते हैं खरपतवार की तरह
या डूब जाते हैं बाढ़ के पानी में।
© हरभगवान चावला
एक कहानीकार की हैसीयत से आपको अभिनन्दन ज्ञापन करता हूँ।