श्री आशीष कुमार
(युवा साहित्यकार श्री आशीष कुमार ने जीवन में साहित्यिक यात्रा के साथ एक लंबी रहस्यमयी यात्रा तय की है। उन्होंने भारतीय दर्शन से परे हिंदू दर्शन, विज्ञान और भौतिक क्षेत्रों से परे सफलता की खोज और उस पर गहन शोध किया है।
अस्सी-नब्बे के दशक तक जन्मी पीढ़ी दादा-दादी और नाना-नानी की कहानियां सुन कर बड़ी हुई हैं। इसके बाद की पीढ़ी में भी कुछ सौभाग्यशाली हैं जिन्हें उन कहानियों को बचपन से सुनने का अवसर मिला है। वास्तव में वे कहानियां हमें और हमारी पीढ़ियों को विरासत में मिली हैं। आशीष का कथा संसार ऐसी ही कहानियों का संग्रह है। उनके ही शब्दों में – “कुछ कहानियां मेरी अपनी रचनाएं है एवम कुछ वो है जिन्हें मैं अपने बड़ों से बचपन से सुनता आया हूं और उन्हें अपने शब्दो मे लिखा (अर्थात उनका मूल रचियता मैं नहीं हूँ।”)
एक दिन एक प्रोफ़ेसर अपनी क्लास में आते ही बोला, “चलिए, surprise test के लिए तैयार हो जाइये। सभी स्टूडेंट्स घबरा गए… कुछ किताबों के पन्ने पलटने लगे तो कुछ सर के दिए नोट्स जल्दी-जल्दी पढने लगे। “ये सब कुछ काम नहीं आएगा….”, प्रोफेसर मुस्कुराते हुए बोले, “मैं Question paper आप सबके सामने रख रहा हूँ, जब सारे पेपर बट जाएं तभी आप उसे पलट कर देखिएगा” पेपर बाँट दिए गए।
“ठीक है ! अब आप पेपर देख सकते हैं, प्रोफेसर ने निर्देश दिया। अगले ही क्षण सभी Question paper को निहार रहे थे, पर ये क्या? इसमें तो कोई प्रश्न ही नहीं था! था तो सिर्फ वाइट पेपर पर एक ब्लैक स्पॉट! ये क्या सर? इसमें तो कोई question ही नहीं है, एक छात्र खड़ा होकर बोला।
प्रोफ़ेसर बोले, “जो कुछ भी है आपके सामने है। आपको बस इसी को एक्सप्लेन करना है… और इस काम के लिए आपके पास सिर्फ 10 मिनट हैं…चलिए शुरू हो जाइए…”
स्टूडेंट्स के पास कोई चारा नहीं था…वे अपने-अपने answer लिखने लगे।
समय ख़त्म हुआ, प्रोफेसर ने answer sheets collect की और बारी-बारी से उन्हें पढने लगे। लगभग सभी ने ब्लैक स्पॉट को अपनी-अपनी तरह से समझाने की कोशिश की थी, लेकिन किसी ने भी उस स्पॉट के चारों ओर मौजूद white space के बारे में बात नहीं की थी।
प्रोफ़ेसर गंभीर होते हुए बोले, “इस टेस्ट का आपके academics से कोई लेना-देना नहीं है और ना ही मैं इसके कोई मार्क्स देने वाला हूँ…. इस टेस्ट के पीछे मेरा एक ही मकसद है। मैं आपको जीवन की एक अद्भुत सच्चाई बताना चाहता हूँ…
देखिये… इस पूरे पेपर का 99% हिस्सा सफ़ेद है… लेकिन आप में से किसी ने भी इसके बारे में नहीं लिखा और अपना 100% answer सिर्फ उस एक चीज को explain करने में लगा दिया जो मात्र 1% है… और यही बात हमारे life में भी देखने को मिलती है…
समस्याएं हमारे जीवन का एक छोटा सा हिस्सा होती हैं, लेकिन हम अपना पूरा ध्यान इन्ही पर लगा देते हैं… कोई दिन रात अपने looks को लेकर परेशान रहता है तो कोई अपने करियर को लेकर चिंता में डूबा रहता है, तो कोई और बस पैसों का रोना रोता रहता है।
क्यों नहीं हम अपनी blessings को count करके खुश होते हैं… क्यों नहीं हम पेट भर खाने के लिए भगवान को थैंक्स कहते हैं… क्यों नहीं हम अपनी प्यारी सी फैमिली के लिए शुक्रगुजार होते हैं…. क्यों नहीं हम लाइफ की उन 99% चीजों की तरफ ध्यान देते हैं जो सचमुच हमारे जीवन को अच्छा बनाती हैं।
तो चलिए आज से हम life की problems को ज़रुरत से ज्यादा seriously लेना छोडें और जीवन की छोटी-छोटी खुशियों को ENJOY करना सीखें ….
© आशीष कुमार
नई दिल्ली
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈