श्री सदानंद कवीश्वर
संक्षिप्त परिचय
भारत में जन्म, वाणिज्य स्नातक, नई दिल्ली में स्थाई निवास। विश्व-प्रसिद्ध कंपनी ‘डाबर’ से सेवानिवृत्त, लेखन, पठन तथा संगीत में रुचि। एक एकल लघुकथा संग्रह- ‘फिर मिलेंगे’ तथा छह साझा संग्रह प्रकाशित। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में दोहे, कुण्डलियाँ, हाइकू, लेख, निबंध तथा लघुकथाएँ नियमित रूप से प्रकाशित। लघुकथाओं का पंजाबी, मराठी, भोजपुरी, मैथिलि व बांग्ला आदि भाषाओं में अनुवाद तथा सम्बद्ध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन।
लघुकथा – स्वच्छता अभियान… ☆ श्री सदानंद कवीश्वर ☆
झुग्गियों में रहने वाला केशव अपनी दोनों जेबों में मोतीचूर के लड्डू ठूँसते हुए तेज़ी से पार्क में पडी थर्मोकोल की प्लेट्स, दोने, पानी के डिस्पोज़ेबल गिलास और मुसे हुए टिश्यू पेपर उठा रहा था। उसने सब कुछ उठा कर कूड़ेदान में डाला और गेट के पास खड़े अपने दोस्त के पास जाकर उसे भी एक लड्डू दिया।
“अरे, यह लड्डू किसने दिया और तू यह कचरा क्यों बीन रहा था ?”
“तुझे तो कुछ पता ही नहीं होता”, केशव बोला, “आज विधायक जी आए थे यहाँ, ‘स्वच्छता अभियान’ का उद्घाटन करने। सबसे पहले विधायक जी का भाषण हुआ। उन्होंने अपने आसपास की जगह को साफ़ रखने तथा कूड़ेदान के प्रयोग का महत्व बताया। फिर जितने लोग आए थे, सबने अपने घर के साथ-साथ पार्क और सड़क को साफ़ रखने की कसम खाई। चार बड़े कूड़ेदान पार्क में लगवाए गए। उसके बाद नाश्ता हुआ और तब मुझे पार्क में चारों ओर पड़े दोने, प्लेट आदि उठा कर इस जगह को साफ़ करने के बदले 4 मोतीचूर के लड्डू दे के, अभी तो गए हैं सब लोग यहाँ से।
© श्री सदानंद कवीश्वर
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