श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’
(ई-अभिव्यक्ति में श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’ जी का स्वागत। पूर्व शिक्षिका – नेवी चिल्ड्रन स्कूल। वर्तमान में स्वतंत्र लेखन। विधा – गीत,कविता, लघु कथाएं, कहानी, संस्मरण, आलेख, संवाद, नाटक, निबंध आदि। भाषा ज्ञान – हिंदी,अंग्रेजी, संस्कृत। साहित्यिक सेवा हेतु। कई प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय स्तर की साहित्यिक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा अलंकृत / सम्मानित। ई-पत्रिका/ साझा संकलन/विभिन्न अखबारों /पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। पुस्तक – (1)उमा की काव्यांजली (काव्य संग्रह) (2) उड़ान (लघुकथा संग्रह), आहुति (ई पत्रिका)। शहर समता अखबार प्रयागराज की महिला विचार मंच की मध्य प्रदेश अध्यक्ष। आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय लघुकथा – अंधी दौड़।)
☆ लघुकथा # 38 – मित्रता ☆ श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’ ☆
जय और अनुराग मित्र दोनों खेलते खेलते थक गए और कुछ बातें करने लगे, बातें करते-करते वे लोग आगे निकल गये।
अनुराग हम कहाँ आ गए यह तो कुछ अलग सी जगह लग रही है?
अब घर कैसे पहुंचेंगे ?
ये सब तुम्हारे कारण हुआ, और दोनों के बीच झगड़ा हो गया । जय ने अनुराग को जोर से थप्पड़ मार दिया फिर इस बात को सड़क के किनारे फूल तोड़ कर के अनुराग ने फूलों से जय का नाम लिख दिया।
थोड़ा आगे निकलने के बाद उन दोनों को बहुत जोर से प्यास लगी, आगे चलने के बाद एक नदी दिखाई दी दोनों ने पानी पिया और अनुराग ने कहा चलो?
हम लोग स्नान करते हैं?
जय को तैरना नहीं आता था वह किनारे नहाने लगा फिसल गया और डूबने लगा अनुराग ने उसे बचा लिया । तभी वहां पर एक पुलिस वाला दिखाई दिया।
उसने कहा- “अरे लड़कों तुम लोग कहां भटक रहे हो?
उन्होंने कहा बताया कि हम रास्ता भूल गए हैं।
उसने उन्हें उनके घर में अपनी गाड़ी में बिठा कर छोड़ दिया।
दोनों ने कहा थैंक यू अंकल
पुलिस वालों ने कहा – ऐसे कहीं अकेले मत घूमना।
दोनों के घर आमने-सामने थे। पुलिस वाले ने उनके माता-पिता को पूरी घटना बताई।
वे दोनों अपने घर जाते एक दूसरे को ध्यान से देखते रहे, सच्ची मित्रता आंखों में दिख रही थी…।
© श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’
जबलपुर, मध्य प्रदेश मो. 7000072079
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈