श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’
(ई-अभिव्यक्ति में श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’ जी का स्वागत। पूर्व शिक्षिका – नेवी चिल्ड्रन स्कूल। वर्तमान में स्वतंत्र लेखन। विधा – गीत,कविता, लघु कथाएं, कहानी, संस्मरण, आलेख, संवाद, नाटक, निबंध आदि। भाषा ज्ञान – हिंदी,अंग्रेजी, संस्कृत। साहित्यिक सेवा हेतु। कई प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय स्तर की साहित्यिक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा अलंकृत / सम्मानित। ई-पत्रिका/ साझा संकलन/विभिन्न अखबारों /पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। पुस्तक – (1)उमा की काव्यांजली (काव्य संग्रह) (2) उड़ान (लघुकथा संग्रह), आहुति (ई पत्रिका)। शहर समता अखबार प्रयागराज की महिला विचार मंच की मध्य प्रदेश अध्यक्ष। आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय लघुकथा – शौक।)
☆ लघुकथा # 43 – शौक ☆ श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’ ☆
विमला जी आज सुबह से काम को लेकर बड़ी परेशान थी।
कुछ बड़बड़ा रही थी और काम पर लगी थी।
मालती उसके साथ रोज नाच गाने में लगी रहती है।
ऐसा लगता है दोनों को कि बस जीवन में नाच गाना ही है…।
आज अच्छे से खबर लेती हूं..।
चलो अच्छा है याद तो आएगी।
काम करने भी जाना है दीदी के घर?
दीदी थोड़ा सा समय नाच गा लेती हूं खुश हो जाती हूं तो तुम्हारा क्या बिगड़ता है तुम भी आया करो, फ्रेश हो जाओगी।
तुम दोनों की तरह फुर्सत में नहीं हूं मुझे घर में बहुत काम हैं।
घर में तो कोई बच्चे नहीं हैं, दिनभर नाच गाने में लगी रहती है।
झुमरी ने गुस्से से बोला-
देखो दीदी तुम किसी की जब तक परिस्थिति नहीं जानती हो तो उसके बारे में कुछ भी मत कहा करो।
सब घरों का काम छोड़ कर उसी के घर में काम करना।
ठीक है दीदी तुमसे तो वह दीदी लाख गुना अच्छी हैं ।
थोड़ी देर यदि खुश रहती हैं तो तुम्हारा क्या बिगड़ जाता है?
उनके बाल बच्चे नहीं हैं।
ऐसा उन्हें ताने मत दिया करो।
उनकी एक बिटिया है, जो गूंगी है।
बहुत होशियार है दीदी उसको पढ़ाती हैं।
झुमरी की बातें विमला के मन में एक घाव कर गई ।
अच्छा चल कल से मैं भी नाचने आऊंगी……।
© श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’
जबलपुर, मध्य प्रदेश मो. 7000072079
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈