श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’

(ई-अभिव्यक्ति में श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’ जी का स्वागत। पूर्व शिक्षिका – नेवी चिल्ड्रन स्कूल। वर्तमान में स्वतंत्र लेखन। विधा –  गीत,कविता, लघु कथाएं, कहानी,  संस्मरण,  आलेख, संवाद, नाटक, निबंध आदि। भाषा ज्ञान – हिंदी,अंग्रेजी, संस्कृत। साहित्यिक सेवा हेतु। कई प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय स्तर की साहित्यिक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा अलंकृत / सम्मानित। ई-पत्रिका/ साझा संकलन/विभिन्न अखबारों /पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। पुस्तक – (1)उमा की काव्यांजली (काव्य संग्रह) (2) उड़ान (लघुकथा संग्रह), आहुति (ई पत्रिका)। शहर समता अखबार प्रयागराज की महिला विचार मंच की मध्य प्रदेश अध्यक्ष। आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय लघुकथा – अंधी दौड़।)

☆ लघुकथा # 53 – अलार्म श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’

मोबाइल का अलार्म लगातार बज रहा था और सुनीता  बार-बार बंद कर  दे रही थी। मां ने आवाज लगाई  तो उसने रजाई को और ऊपर तक तान कर सो गई। मां ने इस बार जोर से चिल्लाया आखिरी बार बोल रही हूं, उठ कर नीचे जाकर नाश्ता कर लो।  जल्दी उठो वरना अकेली ही घर में रह जाओगी। मैं ताला लगा कर ऑफिस चली जाऊंगी।

सुनीता अलसाई सी चिल्लाकर बोली  मैं कल जरूर आपके साथ कॉलेज जाउंगी आज सारा दिन घर में सोने दो।

माँ ने कहा – कल तो कभी आयेगा ही नहीं? चलो! अब जल्दी से उठकर तैयार जाओ। आज बहुत कोहरा है बाहर कुछ दिख भी नहीं रहा है ठंडी हवा से शरीर कंपकंपा रहा है।

कुछ देर बाद दोनों सड़क पर थे। सुनीता की माँ का ध्यान बाहर सड़क के किनारे झोपड़ी और फुटपाथ में बैठे हुए कुछ लोगों की ओर गया।

इतनी ठंड में सुबह सुबह ये बच्चे कैसे खेल रहे हैं और सभी लोग काम पर जा रहे हैं। ठंड तो सबको लगती है, मुझे भी लग रही है। लेकिन देखो तुम्हारे पिताजी नहीं रहे। मैं पढ़ी लिखी थी इसलिए नौकरी कर तुम्हें पढ़ा रही हूं। अपना और तुम्हारा ध्यान रख रही हूं। तुम बड़ी ऑफिसर बनो। सामाजिक ताकत तो एक बड़े पद पर रहकर ही मिलती है। अन्यथा ये समाज के भेड़िये तुम्हें खा जाएंगे। ठंड में इंसान मजबूर होकर काम पर जाता है। तुम अच्छे से पढ़ाई करो और एक बड़ी ऑफिसर बनो।

अपने लक्ष्य को सामने रखो अपने आप ठंड भाग जाएगी। अपने मन में दृढ़ निश्चय करो। अलार्म बजते ही तुम समय के साथ नहीं चलोगी तो पीछे रह जाओगी। समय किसी के लिए रुकता नहीं है। देखो बातों बातों में तुम्हारा कॉलेज आ गया।

© श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’

जबलपुर, मध्य प्रदेश मो. 7000072079

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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