श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’
(ई-अभिव्यक्ति में श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’ जी का स्वागत। पूर्व शिक्षिका – नेवी चिल्ड्रन स्कूल। वर्तमान में स्वतंत्र लेखन। विधा – गीत,कविता, लघु कथाएं, कहानी, संस्मरण, आलेख, संवाद, नाटक, निबंध आदि। भाषा ज्ञान – हिंदी,अंग्रेजी, संस्कृत। साहित्यिक सेवा हेतु। कई प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय स्तर की साहित्यिक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा अलंकृत / सम्मानित। ई-पत्रिका/ साझा संकलन/विभिन्न अखबारों /पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। पुस्तक – (1)उमा की काव्यांजली (काव्य संग्रह) (2) उड़ान (लघुकथा संग्रह), आहुति (ई पत्रिका)। शहर समता अखबार प्रयागराज की महिला विचार मंच की मध्य प्रदेश अध्यक्ष। आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय लघुकथा – दहलीज।)
☆ लघुकथा # 66 – दहलीज ☆ श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’ ☆
“उषा, उषा अरे उषा तुम कहां हो?” अचानक आई आवाज से उषा सहम गई।
सोचने लगी आज भैया मुझे क्यों इतनी जोर-जोर से आवाज देकर बुला रहे हैं ? आज तक तो ऐसे कभी घबराए हुए देखा नहीं?
“क्या मुझसे कोई गलती हुई है भैया जो आप मुझे बुला रहे हैं ?”
तभी अचानक भैया ने आकर झकझोरा- “तू ठीक है न।”
उसके बड़े भाई अनुराग ने स्वयं को संभालते हुए कहा – “नहीं नहीं कुछ नहीं?”
“सुनो तुम अपना ख्याल रखना और घर से बाहर कोई भी काम हो तो मुझे बताना। मैं तुम्हारे सारे काम कर दूंगा?”
“क्यों भैया? मैं भी तो कर सकती हूं? आज से पहले तो भैया आपने ऐसी बात नहीं की। अचानक आपको क्या हुआ?”
“तुम तो बड़ी क्लास में आ गई हो और अपनी जिम्मेदारियां को समझ जितना बोल रहा हूं उतना ही सुन कल से तुझे स्कूल भी मैं ही छोडूंगा।”
“भैया क्या मैंने दसवीं पास करके कोई गुनाह कर लिया क्या? कक्षा में सारे लोग मेरे ऊपर हसेंगे।”
“ज्यादा सवाल मत कर तू हम दोनों भाइयों के बीच में एक लाडली बहन है।”
“हां लेकिन भैयाजी छोटे को तो कुछ नहीं बोलते हो मेरे ऊपर क्यों शासन लगा रहे हो?”
“चाचा जी और उनके पड़ोस के लड़कों किसी से भी बात मत करना। उषा तुम छोटी बहन हो लेकिन मेरी बेटी जैसी हो। बाहर की दुनिया तुम नहीं समझोगी।”
अभी अभी बाहर से वह सभी देख कर आ रहा था जो वह बताने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था।
“आजकल तो ऐसा जमाना आ गया है की तेरी सहेली कविता के साथ क्या हुआ तुझे पता नहीं है आजकल तो घर में भी लोग सुरक्षित नहीं है।”
बाहर जो भी हुआ वह डरावने सपने जैसा उसकी आंखों के सामने बार-बार आ रहा था। दिनदहाड़े बीच बाजार में एक लड़की को सरेआम लूटा गया। वही देखकर उसका मन डर गया था।
“तू अपने घर की दहलीज कभी मत पर करना वह उसे लड़के को चाहती थी । किसी के ऊपर भी विश्वास और भरोसा नहीं करना चाहिए एक बात ध्यान रखना कि घर के बड़ों की बात मानना क्योंकि हम दोनों भाई हैं और हमारे घर में कोई नहीं है तुम्हारे सिवाय और तुम्हें समझाने के लिए । कभी भी अपने घर की दहलीज को मत पार करना।”
© श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’
जबलपुर, मध्य प्रदेश मो. 7000072079
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈