श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’
(ई-अभिव्यक्ति में श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’ जी का स्वागत। पूर्व शिक्षिका – नेवी चिल्ड्रन स्कूल। वर्तमान में स्वतंत्र लेखन। विधा – गीत,कविता, लघु कथाएं, कहानी, संस्मरण, आलेख, संवाद, नाटक, निबंध आदि। भाषा ज्ञान – हिंदी,अंग्रेजी, संस्कृत। साहित्यिक सेवा हेतु। कई प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय स्तर की साहित्यिक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा अलंकृत / सम्मानित। ई-पत्रिका/ साझा संकलन/विभिन्न अखबारों /पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। पुस्तक – (1)उमा की काव्यांजली (काव्य संग्रह) (2) उड़ान (लघुकथा संग्रह), आहुति (ई पत्रिका)। शहर समता अखबार प्रयागराज की महिला विचार मंच की मध्य प्रदेश अध्यक्ष। आज प्रस्तुत है आपकी लघुकथा – नजरबट्टू।)
☆ लघुकथा – नजरबट्टू ☆ श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’ ☆
शर्बरी सुबह कॉलेज जा रही थी तभी रास्ते में पाखी और शंन्मुखा से मुलाकात हो जाती है।
अरे वाह आज कितना बढ़िया हुआ हम सभी सहेलियां एक साथ कॉलेज जा रही हैं। आज सुबह से मैं तुम लोगों को याद कर रही थी आज तो मेरी सब इच्छा पूरी हो रही है, हम सभी ऑटो से चलते हैं।
तभी उन्हें कुछ दूर पर रास्ते में कालिंदी दीदी रोती हुई दिखती हैं और उनके साथ एक आदमी है वह लोग गाड़ी में बैठ कर जा रहे हैं।
दीदी के साथ क्या हुआ? अचानक पाखी ने अपने दोस्तों से कहा।
“ऑटो वाले भैया उस गाड़ी के पीछे पीछे चलो?”
शंन्मुखा ने कहा- “भैया पैसे की चिंता मत करो हम तुम्हें पैसे देंगे पूरे।”
उनकी गाड़ी एक रेस्टोरेंट के पास रूकती है तीनों सहेलियां भी पीछे-पीछे उसी रेस्टोरेंट में जाती हैं ।
ओह ! ये क्या लड़का तो दीदी से पैसे मांग रहा है? तभी अचानक दौड़कर पाखी दीदी के पास जाती है।
“ये कौन है दीदी?”
पाखी हमारे ऑफिस का बॉस है। मुझसे गलत काम कराना चाहता है ऑफिस में और मेरे साथ अभद्र भाषा का भी उपयोग करता है और मुझे बदनाम करने की धमकी भी दे रहा है मेरा कोई नहीं है यह बात इसे पता है इसलिए मेरी मजबूरी का फायदा उठाकर रहा है।
“दीदी दीदी आप चिंता मत करो।”
वह जोर जोर से चिल्लाने लगती हैं बहुत सारे लोग इकट्ठे हो जाते हैं, होटल के स्टाफ की मदद से उसे पुलिस में पकड़ दिया ।
कालिंदी ने कहा – तुम लोगों ने आज मुझे मुसीबत से बचा लिया।
दीदी आप नौकरी की चिंता मत करो, जब तक नौकरी नहीं मिलती तब तक आप मां के साथ टिफिन सर्विस में मदद करना।
कालिंदी ने गंभीर स्वर में कहा- “आज जो कुछ भी हुआ उस विषय में किसी को कुछ मत कहना।”
तुम सभी छोटी बहनों ने मुझे इस दलदल से बाहर निकाला आज पार्टी मेरी तरफ से…।
सभी एक दूसरे को देख कर जोर से हंसने लगती हैं और कहती है दीदी हमने आपके उदासी की वजह जान ली। कालिंदी कहती है अरे ! नज़र बट्टू तुम लोगों ने मेरे जीवन की बुरी नजर को उतार दिया।
© श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’
जबलपुर, मध्य प्रदेश मो. 7000072079
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈