श्री वीरेंद्र प्रधान
(ई-अभिव्यक्ति में सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री वीरेंद्र प्रधान जी का हार्दिक स्वागत है। आप भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। वर्तमान में स्वतंत्र लेखन (कवि, लघुकथाकार, समीक्षक)। प्रकाशित कृति – कुछ कदम का फासला (काव्य-संकलन), प्रकाशनाधीन कृति – गांव से बड़ा शहर। साहित्यकारों पर केन्द्रित यू-ट्यूब चैनल “प्रधान नामा” का संपादन। )
☆ कविता ☆ आभार ☆ श्री वीरेंद्र प्रधान ☆
मरने को तो मरते हैं अब भी
पहले से ज्यादा लोग
मगर अब नहीं आतीं खूंट पर कटी चिट्ठियां
और सीरियस होने के तार
से किसी के मरने के समाचार
अब तो अखबारों में फोटो सहित छपते हैं
मरने वाले की अन्त्येष्टी और उठावने के इश्तहार।
सोशल मीडिया ने भी बहुत करीब ला दिया
व्यस्तता और समयाभाव के युग में
बहुत समय बचा दिया।
अब दिनों में पहुंचने वाले
सुख/दु:ख के समाचार
घंटों और मिनटों में नहीं
सेकण्डों में पहुंच जाते हैं गन्तव्य तक।
किसी महामारी के दुष्प्रभावों की
भरपूर जानकारी दिला
सबको जानकार बना दिया
सोशल मीडिया ने।
गुलाब दिवस, प्रस्ताव दिवस
चाकलेट और आलिंगन दिवस
और अन्त में प्रेम दिवस के बहाने
कर दिये बाजार सब गुलज़ार
सोशल मीडिया ने।
प्रेम का इजहार
करने के सब साधन और उपहार
के व्यापार का हर व्यापारी
हृदय-तल से हैं आभारी
सोशल मीडिया का।
© वीरेन्द्र प्रधान
संपर्क – शिव नगर, रजाखेड़ी, सागर मध्यप्रदेश
मो – 7067009815
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