सुश्री प्रभा सोनवणे

? कविता ?

☆ ऋतूओं का राजा बसंत☆ सुश्री प्रभा सोनवणे ☆

है वसुंधरा सजधज के तैयार,

छायी है  सृष्टी पे बसंत बहार।

फूल फूल पर भँवर मंडराए

प्राणी मात्र गीत मिलन के गाए ।

 *

मौसम आया है प्यार का

पशु पंछियों के शृंगार का।

बेहद खुश है सब किसान,

फसल हुई है अब जवान ।

 *

आए फसल कटाई के त्यौहार

पोंगल, बिहू ,बैसाखी शानदार।

बोले कोयल भी मीठे बोल

कुहूऽऽऽ कुहू  स्वर बडे अनमोल।

 *

पीले वसन पहिन सुंदरियाँ  

हँसती नाचती है सजनियाँ।

मस्त हवा में लहराती है पतंग,

खुश है सभी ऋतू राजा के संग ।

 *

मर्द गाते हैं, ढोल बजाते हैं

पीते और…..  पिलाते हैं ।

रंग लाता है बसंत भरपूर,

हो जाता है ये मौसम मशहूर।

© प्रभा सोनवणे

संपर्क – “सोनवणे हाऊस”, ३४८ सोमवार पेठ, पंधरा ऑगस्ट चौक, विश्वेश्वर बँकेसमोर, पुणे 411011

मोबाईल-९२७०७२९५०३,  email- [email protected]

संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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