सुश्री प्रभा सोनवणे
कविता
☆ ऋतूओं का राजा बसंत… ☆ सुश्री प्रभा सोनवणे ☆
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है वसुंधरा सजधज के तैयार,
छायी है सृष्टी पे बसंत बहार।
फूल फूल पर भँवर मंडराए
प्राणी मात्र गीत मिलन के गाए ।
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मौसम आया है प्यार का
पशु पंछियों के शृंगार का।
बेहद खुश है सब किसान,
फसल हुई है अब जवान ।
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आए फसल कटाई के त्यौहार
पोंगल, बिहू ,बैसाखी शानदार।
बोले कोयल भी मीठे बोल
कुहूऽऽऽ कुहू स्वर बडे अनमोल।
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पीले वसन पहिन सुंदरियाँ
हँसती नाचती है सजनियाँ।
मस्त हवा में लहराती है पतंग,
खुश है सभी ऋतू राजा के संग ।
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मर्द गाते हैं, ढोल बजाते हैं
पीते और….. पिलाते हैं ।
रंग लाता है बसंत भरपूर,
हो जाता है ये मौसम मशहूर।
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© प्रभा सोनवणे
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