श्री सुहास रघुनाथ पंडित
(आज प्रस्तुत है सुप्रसिद्ध मराठी साहित्यकार श्री सुहास रघुनाथ पंडित जी की एक समसामयिक कविता ” एक विषाणु “.)
☆ कविता ☆ एक विषाणु ☆
एक विषाणू आदमी को दुर्बल बना देता है/
उसका ज्ञान, उसका विज्ञान
उसका तंत्र, उसका मंत्र
उसके सारे क्षेपणास्त्र
सभी को ताला लगा देता है
एक विषाणू….
उसकी शक्ति, उसकी भक्ति
उसकी मति, उसकी गति
उसकी नीति, उसकी अनीति
सबको ताला लगा देता है
एक विषाणू….
उसका मान, उसका अभिमान
उसका विचार, उसका अहंकार
उसका विवेक, उसका स्वैराचार
सभी को ताला लगा देता है
एक विषाणू….
उसकी सत्ता, उसके अधिकार
उसकी भूख, उसका शृंगार
उसके मन के सारे विकार
सभी को ताला लगा देता है
एक विषाणू….
आज आया है ये कोरोना
कल का किसने जाना
अब याद एक ही रखना
अपनी मर्यादा का पालन करना
प्रकृति को गलत ना समझना
कभी गलत ना समझना
कभी गलत ना समझना
© श्री सुहास रघुनाथ पंडित
सांगली.
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
अतिसुन्दर समसामयिक कविता