सुश्री पूजा मिश्रा ‘यक्ष’ 

( ई-अभिव्यक्ति में सुश्री पूजा मिश्रा ‘यक्ष’ जी का अयोध्या से हार्दिक स्वागत है। आप हिंदी साहित्य विधाओं की सशक्त हस्ताक्षर हैं । आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण रचना  “कर्ज सी है ज़िन्दगी”।  हमें भविष्य में आपकी और सर्वोत्कृष्ट रचनाओं की प्रतीक्षा रहेगी।)

☆ कर्ज सी है ज़िन्दगी ☆

ये ज़मीं, ये आस्मां

सांसों का ये कारवां

कर्ज़ सी है जिंदगी

जाने क्यों हैं हम यहां

 

मोह की ये बेड़ियाँ

कर रहीं हैं सब बयां

फिर भी मन के घाट पर

बढ़ रहीं दुश्वारियां

जानता है वो ख़ुदा

भेजता वही यहाँ

छोड़ना पड़ेगा सब

इतनी सी है दास्तां

बांट अपना प्यार बस

मत भटक यहां वहां

कर्ज़ सी है……..

 

आरज़ू पे आरज़ू

चक्र में पड़ा है तू

सब है पहले से लिखा

कर न कोई जुस्तज़ू

जायेगा जहां जहां

पायेगा उसी को तू

कर्म की ही गठरियाँ

भाग्य की हैं आबरू

वो हमें नचा रहा

हम तो हैं कठपुतलियां

कर्ज़ सी है……….

 

© पूजा मिश्रा ‘यक्ष,

अयोध्या उत्तरप्रदेश

 

 

 

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