श्रीमति जस्मिन शेख
कविता
☆ खोज ☆ श्रीमति जस्मिन शेख ☆
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विघटित विचारों की अनुभूति से
घबराहट भरी अराजकता से
स्वप्नीश बना अध्यापक
खोज रहा है आज
कल का सभ्य नागरिक।
झूठे भविष्य की आस में
बच्चों पर सपने लांध कर
बिखरे हुए माता-पिता
खोज रहे हैं आज
अपने ही बच्चों के रक्षक
कागज़ के पहाड़ी बोझ उठाकर
गहरे आंतरिक दर्द से पीड़ित
कालसूत्र से बंधा बच्चा
खोज रहा है आज
उसके ही भविष्य का भक्षक
व्यर्थ संकल्प के साँप छोड़कर
समाज में भ्रम फैलाकर
गैरजिम्मेदार शासक
खोज रहा आज
एक और मासूम शावक…
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साभार – सौ. उज्ज्वला केळकर, सम्पादिका ई-अभिव्यक्ती (मराठी)
© श्रीमति जस्मिन शेख
मिरज जि. सांगली
9881584475
≈ संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈