डॉ श्याम मनोहर सीरोठिया

( ई- अभिव्यक्ति  बहुमुखी प्रतिभा के धनी एवं साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर  डॉ श्याम मनोहर सीरोठिया जी का हृदय से आभारी है । आपने चिकित्सा सेवाओं के अतिरिक्त साहित्यिक सेवाओं में विशिष्ट योगदान दिया है। अब तक आपकी नौ काव्य  कृतियां  प्रकाशित हो चुकी हैं एवं तीन  प्रकाशनाधीन हैं। चिकित्सा एवं साहित्य के क्षेत्र में कई विशिष्ट पदों पर सुशोभित तथा  शताधिक पुरस्कारों / अलंकरणों से पुरस्कृत / अलंकृत डॉ श्याम मनोहर सीरोठिया जी  से हम अपने प्रबुद्ध पाठकों के लिए उनके साहित्य की अपेक्षा करते हैं। आज प्रस्तुत है उनका एक अतिसुन्दर भावप्रवण गीत गीतों ने चर्चित कर डाला। हम समय समय पर आपकी उत्कृष्ट रचनाओं को आपसे साझा करने का प्रयास करेंगे। आपसे विनम्र अनुरोध है कि उन्हें आत्मीयता से आत्मसात करें। )

☆ गीतों ने चर्चित कर डाला ☆

 

मन की अनजनी पीड़ा को,गीतों ने परिचित कर डाला।

छोटी सी जीवन गाथा को,गीतों ने चर्चित कर डाला।।

कभी गीत तुलसी चौपाई,कभी कबीरा गान हुआ है।

कभी गीत रोया मीरा सा, और कभी रसखान हुआ है।

कभी गीत पद हुआ सूर का,कान्हा को अर्पित कर डाला।।

 

कभी गीत सूरज के वंशज,कभी चाँदनी बिखराई है।

कभी गीत मधुमास हो गये, कभी गीत में पुरवाई है।

कभी गीत ने लिखी उदासी,और कभी हर्षित कर डाला।।

 

कभी गीत पावन गंगाजल,कभी गीत गाये मधुशाला।

कभी गीत है सुधा भरा घट कभी गीत है बिष का प्याला।

कभी गीत ने मन के भीतर,सारा जग निर्मित कर डाला।।

 

कभी गीत हो गये पराये, और कभी अपने बन आये।

कभी गीत में चुभन शूल की,कभी सुमन कोमल मन भाये।।

कभी गीत ने मुरझाये मन,को पल में सुरभित कर डाला।।

 

कभी गीत ने प्यास लिखी तो,कभी गीत पावस का बादल।

कभी गीत है चमक मुकुट की,और कभी पैरों की पायल।।

कभी गीत ने खामोशी दी,और कभी मुखरित कर डाला।।

 

मन की अनजानी पीड़ा को ,गीतों ने परिचित कर डाला।

छोटी सी जीवन गाथा को,गीतों ने चर्चित कर डाला।।

 

© डॉ श्याम मनोहर सीरोठिया

“श्री रघु गंगा” सदन,  जिया माँ पुरम फेस 2,  मेडिकल कालेज रोड सागर (म. प्र.)470002

मोबाईल:  9425635686,  8319605362

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