श्री अनिल वमोरकर
☆ कविता – चंदन ☆ श्री अनिल वमोरकर ☆
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चंदन सा शरीर
अनमोल सा श्वास
अज्ञानांधकार से
माटीमोल जीवन प्रवास….
लालच, ईर्षा, बैर
द्वेष, क्रोध को लेकर
असफल जीवन जी रहे
सार्थक कैसा ये जीवन प्रवास?…
श्वास रुपी वृक्ष
कम रह जाएंगे
अहसास तब होगा
जब शाश्वत आनंद न पाओंगे…
प्रेम, परोपकार
भाई-चारा, सौहार्द व्यवहार
यही है शाश्वत आनंद किल्ली
सोचो, समझो अभी भी जाओ सवंर…
© श्री अनिल वामोरकर
अमरावती
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈