श्री रामस्वरूप दीक्षित
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री रामस्वरूप दीक्षित जी गद्य, व्यंग्य , कविताओं और लघुकथाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। धर्मयुग,सारिका, हंस ,कथादेश नवनीत, कादंबिनी, साहित्य अमृत, वसुधा, व्यंग्ययात्रा, अट्टाहास एवं जनसत्ता ,हिंदुस्तान, नवभारत टाइम्स, राष्ट्रीय सहारा,दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर, नईदुनिया,पंजाब केसरी, राजस्थान पत्रिका,सहित देश की सभी प्रमुख पत्र पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित । कुछ रचनाओं का पंजाबी, बुन्देली, गुजराती और कन्नड़ में अनुवाद। मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन की टीकमगढ़ इकाई के अध्यक्ष। हम भविष्य में आपकी चुनिंदा रचनाओं को अपने पाठकों से साझा करने का प्रयास करेंगे।
☆ कविता – तसल्ली ☆
मारे केवल वे ही नहीं जाएंगे
जिन्हें वे मारना चाहते हैं
मारे वे भी जाएंगे
जिन्हें वे नहीं मारना चाहते
वे भी मारे ही जाएंगे एक न एक दिन
जो मरना नहीं चाहते
मारने वाले
बिना भेदभाव
सबको मार रहे हैं
मरने वाले भी
मरते समय नहीं देखते
कि वे किनके साथ मर रहे हैं
तरह तरह के भेदभाव
और एक दूसरे के लिए घृणा से भरे
इस मनहूस समय में
कम से कम एक काम तो है
जो पूरे सद्भाव से हो रहा है
यह क्या कम है ?
© रामस्वरूप दीक्षित
सिद्ध बाबा कॉलोनी, टीकमगढ़ 472001 मो. 9981411097
ईमेल –[email protected]
अच्छी रचना