प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे
☆ दोहे – सरहद पर होली ☆ प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे ☆
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सरहद पर होली हुई, रक्षा की हुंकार।
बहे ख़ून पर देश की, करते हैं जयकार।।
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खेलें सारे देश के, लोग आज तो रंग।
सरहद पर है शौर्य बस, घुसपैठी से जंग।।
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सरहद पर सैनिक डटे, लेकर शौर्य अबीर।
रँग-गुलाल बलिदान का, खेलें सारे वीर।।
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वतनपरस्ती हँस रही, सम्मानित है तेज।
सरहद पर हर वीर है, क़ुर्बानी लबरेज।।
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याद आ रहे दोस्त सब, यादों में है गाँव।
होली पर सरहद डटे, बंकर की है छाँव।।
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भेजो मंगलकामना, हर सैनिक की ओर।
दूरी है परिवार से, होली है बिन शोर।।
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बंदूकों की है गरज, शौर्य गा रहा फाग।
बम्म-धमाके, टेंक ही, होली का अनुराग।।
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इक-दूजे के माथे पर , मल दी नेह-गुलाल।
सरहद पर सैनिक सदा, करते शौर यह कमाल।।
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© प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे
प्राचार्य, शासकीय महिला स्नातक महाविद्यालय, मंडला, मप्र -481661
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