हिन्दी साहित्य – कविता ☆ नववर्ष विशेष – आओ अपना नववर्ष मनाएं ☆ श्री आर के रस्तोगी

श्री आर के रस्तोगी

☆ नववर्ष विशेष – आओ अपना नववर्ष मनाएं ☆ श्री आर के रस्तोगी☆ 

आओ हम सब मिलकर अपना नववर्ष मनाएं।

घर घर हम सब मिलकर नई बंदनवार लगाए।

 

करे संचारित नई उमंग घर घर सब हम,

फहराए धर्म पताका अपने घर घर हम।

करे बहिष्कार पाश्चातय सभ्यता का हम,

अपनी सभ्यता को आज से अपनाए हम।

आओ सब मिलकर नववर्ष का दीप जलाए

आओ हम सब मिलकर अपना नववर्ष मनाए,

घर घर हम सब मिलकर नई बंदनवार लगाए।।

 

क्या कारण है हम अपना नववर्ष नहीं मनाते है,

केवल पाश्चातय सभ्यता का हम नववर्ष मनाते है।

रंग जाते है नई सभ्यता मे भूल गए अपने को।

रहे गुलाम अंग्रेजो के भूल गए अपने सपनों को।

आओ सब मिलकर इस सभ्यता की होली जलाए,

करे बहिष्कार इन सबका अपना नववर्ष मनाए।

आओ घर घर नववर्ष का हम सब दीप जलाएं।।

 

© श्री आर के रस्तोगी

गुरुग्राम

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈