सुश्री दीपिका गहलोत “मुस्कान”

सुश्री दीपिका गहलोत ” मुस्कान “ जी  मानव संसाधन में वरिष्ठ प्रबंधक हैं। एच आर में कई प्रमाणपत्रों के अतिरिक्त एच. आर.  प्रोफेशनल लीडर ऑफ द ईयर-2017 से सम्मानित । आपने बचपन में ही स्कूली शिक्षा के समय से लिखना प्रारम्भ किया था। आपकी रचनाएँ सकाळ एवं अन्य प्रतिष्ठित समाचार पत्रों / पत्रिकाओं तथा मानव संसाधन की पत्रिकाओं  में  भी समय समय पर प्रकाशित होते रहते हैं। हाल ही में आपकी कविता पुणे के प्रतिष्ठित काव्य संग्रह  “Sahyadri Echoes” में प्रकाशित हुई है। पितृ दिवस पर आज प्रस्तुत है उनकी विशेष रचना – पिता ही कर पाए )

? पितृ दिवस विशेष – पिता ही कर पाए ?

 

छाव बनकर जो छा जाए ,

पग-पग पर पथ दर्शाए ,

चोट लगे तो दवा बन जाए,

ये तो केवल इक पिता ही कर पाए ,

**

ऊँगली पकड़ जो चलना सिखाये ,

हार कर भी हमसे जो हर्षाए ,

हर दुःख से जो हमको बचाए,

ये तो केवल इक पिता ही कर पाए ,

**

हमारी ख़ुशी में जो खुद मुस्कुराए,

हर तूफ़ां के लिए चट्टान बन जाए,

हर ज़िद्द हमारी सर-आँखोँ से लगाए,

ये तो केवल इक पिता ही कर पाए ,

**

अपनी इच्छाओं को दबा हमारी खुशी परवान चढ़ाए,

इक मुस्कान के लिए हमारी कर जाए सौ उपाए,

हर परिस्तिथि में जो जीने की कला सिखलाए,

ये तो केवल इक पिता ही कर पाए ,

**

सख्त बनकर-बुरा बनकर भी प्यार जताए,

कठोर बनकर अनुशासन में रहना सिखाए,

माँ की तुलना में कम कहलाना अपनाए,

ये तो केवल इक पिता ही कर पाए ,

**

प्यार ना जता कर निष्ठुर कहलाए,

बच्चो की नज़रो में निर्दयी बन जाए,

ऊंचा दर्जा ना पा कर भी प्यार जताए,

ये तो केवल इक पिता ही कर पाए .

 

© सुश्री दीपिका गहलोत  “मुस्कान ”  

पुणे, महाराष्ट्र

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Shyam Khaparde

अच्छी रचना

Deepika Gahlot

Thank you !