श्री जयेश कुमार वर्मा

(श्री जयेश कुमार वर्मा जी  बैंक ऑफ़ बरोडा (देना बैंक) से वरिष्ठ प्रबंधक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। हम अपने पाठकों से आपकी सर्वोत्कृष्ट रचनाएँ समय समय पर साझा करते रहेंगे। आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता ज़िन्दगी की धूप …।)

☆ कविता  ☆ ज़िन्दगी की धूप … ☆

आज ठंड बहुत है,

खिड़की से देख रहाँ हूँ,

नीचे हल्के धूप के तिकोने में,

एक बच्ची मेरी यादोँ की, सी,

गुड़िया से खेल रही है,

 

खटोले पे बैठी दादी, भी,

स्वेटर बुन रही हैं,

खेलते, खेलते, वो बच्ची, देखती,

कभी मुझे, सरसरी निगाहों से,

जैसे मेरा अतीत देख रहा, मुझे,

फिर खेल में मशरूफ हो जाती, वो,

धूप का तिकोना, बढ़ गया फैल गया,

 

में भी सोच रहा अगर माँ होती तो,

वो भी जोर शोर से,

रंग बिरंगे ऊनों में उलझी होती,

वो भी मेरे लिए स्वेटर बुन रही होती,

 

लगा में भी कहीं, फिर,

उलझने लगा,

धूप लगा तेज़ हो गई,

सर गरम होने लगा,

में खिड़की से हट गया,

 

बच्ची, दादी, मां, बुनते रहे,

मेरी यादोँ का स्वेटर,

रोज़ इसी तरह,

ठंड बढ़ती गयी,

में इसी तरह,

ज़िन्दगी की धूप देखता रहा

 

©  जयेश वर्मा

संपर्क :  94 इंद्रपुरी कॉलोनी, ग्वारीघाट रोड, जबलपुर (मध्यप्रदेश)
वर्तमान में – खराड़ी,  पुणे (महाराष्ट्र)
मो 7746001236

ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

5 1 vote
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

1 Comment
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
जमुना अय्यर

बहुत सुंदर कविता जयेश जी, वाकई बचपन के सुनहरे दिनों की याद आ गई । बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं ??