सुश्री रुचिता तुषार नीमा
☆ कविता ☆ बालदिवस विशेष – बचपन ☆ सुश्री रुचिता तुषार नीमा ☆
काश की बचपन लौट के आये,
तो एक मौका है अब भी
कि मैं अपना बचपन, खुल के जी लूँ
सब डर, चिंता,तनाव को भूलकर वही मासूमियत को फिर से पी लूँ।
माँ, पापा का लाड़ दुलार
शिक्षकों की फ़टकार
दोस्तों के संग मस्ती की फुहार
और दादी, नानी की कहानियों की भरमार
न किसी बात की चिंता, न भविष्य की कोई फिकर
बस गुड्डे, गुड़ियों के खेल और रेत के महल
काश, की कोई चमत्कार हो जाये
तो एक मौका है अब भी कि मैं अपना बचपन फिर से जी लूँ
© सुश्री रुचिता तुषार नीमा
14-11-2022
इंदौर, मध्य प्रदेश
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈