प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे
☆ “बुद्धं शरणम् गच्छामि” ☆ प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे ☆
मानवता की सीख से, जगा दिया संसार।
हे गौतम ! तुमने दिया, हमको जीवन-सार।।
☆
सामाजिक नवचेतना, का बाँटा था प्यार।
प्रेम-नेह के दीप से, दूर किया अँधियार।।
☆
कपिलवस्तु के थे कुँवर, ख़ूब किया पर त्याग।
ज्ञान-खोज में लग गए, गाया सत् का राग।।
☆
संन्यासी बन तेज का, दिया दिव्य उपहार।
बुद्ध ज्ञान के पुंज थे, परम मोक्ष का सार।।
☆
धम्मं शरणम् ले गए, सारे जग को बुद्ध।
प्रेम, शांति की सीख से, बंद कराये युद्ध।।
☆
मार्ग दिखाया सत्य का, हुआ अहिंसा-गान।
हर दुर्गुण को दूर कर, ख़ूब रचा उत्थान।।
☆
बौद्धधर्म के दर्श से, किया नवल यह लोक।
सतत् साधना से किया, दूर सभी का शोक।।
☆
मानवता का ज्ञान दे, गौतम बने महान।
सचमुच में सिद्धार्थ थे, परम शक्ति का मान।।
☆
सदियों यह जग बुद्धमय, युग-युग तक गुणगान।
हर मानव मानव बना, पाई नव पहचान।।
☆
नमन् करूँ, वंदन करूँ, गाऊँ श्रद्धागीत।
हे गौतम ! तुम हो सदा, मानवता के मीत।।
☆
© प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे
प्राचार्य, शासकीय महिला स्नातक महाविद्यालय, मंडला, मप्र -481661
(मो.9425484382)
ईमेल – [email protected]
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈